साथ चुनाव की राह आसान नहीं

By: Jul 8th, 2018 12:02 am

भाजपा के अपने भी नहीं सहमत

नई दिल्ली— देशभर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मसौदे को तैयार करने के लिए केंद्रीय कानून आयोग ने दो दिन की बैठक आयोजित की है, जिसमें सभी राष्ट्रीय और राज्यों की मान्यता प्राप्त पार्टियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया। इस बैठक में जहां कई विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इस प्रस्ताव का विरोध किया, वहीं बीजेपी के सहयोगी दल गोवा फार्वर्ड पार्टी (जीएफपी) ने भी इस पर ऐतराज जताया। जीएफपी अध्यक्ष विजय सरदेसाई के मुताबकि, उनकी पार्टी नहीं चाहती कि लोकसभा चुनाव के साथ राज्य विधानसभा के चुनाव भी करवाए जाएं। जीएफपी ने शनिवार को कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ करवाने का प्रस्ताव क्षेत्रीय भावनाओं के खिलाफ है। वहीं टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने भी इसपर ऐतराज जताते हुए कहा कि संविधान की मूल संरचना में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। एक साथ चुनाव मूल संरचना के खिलाफ हैं इसलिए हम इसके साथ नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए। बता दें कि टीएमसी की ओर से कल्याण भी कानून आयोग की मीटिंग में हिस्सा लेने पहुंची थीं। उन्होंने यह भी कहा कि मान लीजिए कि केंद्र और राज्य के चुनाव एकसाथ होते हैं और केंद्र में गठबंधन की सरकार बनती है और भविष्य में अगर सरकार गिर गई तो क्या राज्यों में भी फिर से चुनाव कराए जाएंगे? यह संभव नहीं है। हमारी पहली प्राथमिकता लोकतंत्र और सरकार होनी चाहिए, पैसा नहीं।

चर्चा के बाद ही फैसला करेगी कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में विधि आयोग के समक्ष सभी विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श कर वह अपना पक्ष रखेगी। कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने शनिवार को कहा कि पार्टी इस संबंध में पहले पक्षी दलों के साथ बातचीत करेगी और व्यापक राय मशविरा करने के बाद आयोग के समक्ष अपनी बात रखेगी।


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