सीआरआई में विश्व का पहला नया कोर्स

By: Jul 12th, 2018 12:02 am

शुरू होगा पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन वैक्सिनेशन एंड इम्यूनो बायोलॉजिकल’, डब्ल्यूएचओ से हरी झंडी

सोलन— केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआई) कसौली में विश्व का पहला ‘पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन वैक्सिनेशन एंड इम्यूनो बायोलॉजिकल’ कोर्स शुरू होगा। अभी तक विश्व में इस तरह का कोई कोर्स संचालित नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से हरी झंडी मिलने के बाद भारत सरकार ने इस कोर्स को चलाने के लिए सीआरआई को चुना है। सीआरआई कसौली के प्रबंधन वर्ग ने हिमाचल सरकार की मार्फत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को इस यूनीक कोर्स के लिए मान्यता प्रदान करने के लिए लिखा है। सीआरआई कसौली डीपीटी, स्नेक बाइट, रैबीज जैसी बिमारियों के लिए वैक्सिनेशन का उत्पादन करने में देश-विदेश में विख्यात है। इस संस्थान की स्थापना सन् 1905 में हुई थी। कसौली छावनी क्षेत्र में स्थापित यह संस्थान 66 एकड़ में फैला हुआ है। विश्व में खरबों रुपए का वैक्सिनेशन उत्पादन का मूल्यांकन अभी तक भी चूहों, जानवर व अन्य जीव-जंतुओं पर किए गए प्रयोग व उससे मिले रिसर्च इनपुट्स के पश्चात ही किया जाता है। उसके बाद केंद्रीय ड्रग कंट्रोलर इन अनुसंधानों को ‘टॉक्सीकली स्टडी’ करने के निर्देश देता है। एक लंबी व जटिल प्रक्रिया के बाद यह निश्चित होता है कि वह वैक्सीन मानवीय उपयोग के लिए है भी या नहीं। विडंबना यह है कि विश्व के किसी भी देश में वैक्सिनेशन व इम्यूनो बायोलॉजिकल’ में डिप्लोमा कोर्स तक नहीं है। इनका उत्पादन कैसे होता है व स्टडी मैटीरियल क्या है, इसका निर्धारण आज तक नहीं हो पाया है। जानकारी के मुताबिक फिनलैंड देश में इस पाठ्यक्रम को शुरू करने के कुछ समय पूर्व प्रयास भी किए गए थे, किंतु सीआरआई की तरह प्रैक्टिकल कार्य करने के लिए उच्च व विश्व स्तरीय लैब न होने के कारण मामला अभी अधर में है। अब केंद्र सरकार ने केंद्रीय अनुसंधान संस्थान को इस कोर्स को शुरू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

पहले चरण में 20 सीटें मांगीं

यहां वैक्सिनेशन प्रोडक्शन की पै्रक्टिकल ट्रेनिंग व पाठ्यक्रम भी पढ़ाया जाएगा। आरंभिक चरण में सीआरआई ने इस कोर्स के लिए 20 सीटें मांगी हैं तथा एमएससी माइक्रोबायोलॉजी के बाद यह पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा करने के लिए पात्रता रखी जाएगी। अब एचपीयू की एकेडमिक काउंसिल में इस पर निर्णय लिया जाएगा।


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