1947 के समझौते का करते सम्मान तो न होता खून-खराबा

By: Jul 29th, 2018 12:02 am

कोलकाता — अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष गठबंधन को मजबूत करने की तैयारियों में जुट चुका है और सभी पार्टियां आपसी तालमेल को लेकर सकारात्मक संकेत देने में जुटी हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने न सिर्फ कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चा के बड़ा आकार लेने की बात कही है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस के मुकाबले को भी सबसे अहम बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि 1947 में कश्मीर और भारत के बीच हुए समझौते का अगर सम्मान होता तो राज्य में खून-खराबा न होता। कोलकाता पहुंचे अब्दुल्ला ने एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस बारे में चर्चा जारी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिशें, खासकर सोनिया गांधी की ओर से की जा रही हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि जैसे-जैसे 2019 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं यह चर्चा बड़ा आकार लेगी। उधर, ममता बनर्जी के फेडरल फं्रट में शामिल होने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि इस बारे चर्चा की जा रही है कि कैसे क्षेत्रीय पार्टियां आम चुनाव में बीजेपी का सामना कर सकती हैं। उमर ने सीधे तौर पर इन संभावनाओं को खारिज तो नहीं किया, लेकिन यह कहा कि विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास तब तक सफल नहीं होंगे, जब कांग्रेस बीजेपी से उम्मीद के मुताबिक नहीं लड़ेगी। गौरतलब है कि ममता विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर गैर-कांग्रेस, गैर-बीजेपी मोर्चा बनाने की कवायद में लंबे समय से लगी हुई हैं।


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