इन्क्रीमेंट रोकने का निर्णय वापस ले सरकार
घुमारवीं —टीजीटी आर्ट्स एसोसिएशन की प्रदेश इकाई तथा विभिन्न जिला इकाइयों ने टीजीटी से पीजीटी पदोन्नति में अनावश्यक देरी के लिए सरकार तथा विभाग के ढुलमुल रवैये के प्रति भारी रोष प्रकट किया है। प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, प्रदेश महासचिव अखिलेश शर्मा, कांगड़ा के प्रधान ओम प्रकाश, बिलासपुर के प्रधान दिग्विजय मल्होत्रा, ऊना के प्रधान संजीव राजन, मंडी के प्रधान नंद कुमार वर्मा तथा हमीरपुर के प्रधान जसवंत पटयाल ने जारी एक संयुक्त बयान में शिक्षा विभाग व सरकार की सुस्त कार्यप्रणाली के प्रति भारी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि एक टीजीटी की पीजीटी पद पर लगभग 14.15 वर्षांे में तथा हैडमास्टर के पद पर 28.30 वर्षाें की सेवा के पश्चात पदोन्नति होती है। लेकिन विभाग को इन अध्यापकों की पदोन्नति की कोई सुध नहीं है। प्रदेश भर के बहुत बड़ी टीजीटी वर्ग की संख्या बहुत अधिक है और पदोन्नति के अवसर सीमित हैं। सीमित पदोन्नति अवसर होने के कारण दशकों के सेवाकाल के बाद मिलने वाली पदोन्नति के यूं लटकने के कारण टीजीटी वर्ग में भारी रोष और हताशा है। उन्होंने बताया कि विभिन्न कारणों से कुछ अध्यापकों के खराब रिजल्ट आने पर उनकी इन्क्रीमेंट, सालाना वेतनवृद्धि, रोकने में विभाग इस कदर व्यस्त हो गया है कि उन रूटीन में होनी वाली पदोन्नतियों को भी भूल गया है। जिनका इंतजार शिक्षक पिछले कई दशकों से बेसब्री से कर रहे हैं। व्यवस्थागत खामियों का ठीकरा अध्यापकों के सर मड़ने में दिखाई जाने वाली ततपरता का अंश मात्र भी विभाग ने शिक्षकों की देय पदोन्नतियां करने में नहीं दिखाया, जो कि बेहद खेदपूर्ण है। संघ सरकार से मांग करता है कि इन्क्रीमेंट रोकने के इस एक तरफा निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए तथा शिक्षा का स्तर सुधारने व छात्रहित में सभी शिक्षक संगठनों को विश्वास में लेकर ढांचागत सुधार हेतु ठोस पग उठाए जाएं। टीजीटी आर्ट्स एसोसिएशन शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से मांग करती है कि टीजीटी से पीजीटी प्रोमोशन के आदेश जारी करने के निर्देश विभाग को जल्द से जल्द दिए जाएं और दशकों से पदोन्नति की राह देख रहे टीजीटी वर्ग को राहत प्रदान की जाए।
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