क्लीयरेंस में फंसे प्रोजेक्टों को राहत
पेनेल्टी पर ब्याज खत्म कर सकती है सरकार; सालों से अटके हैं मामले, जल्द फैसले के आसार
शिमला— समय पर जिन ऊर्जा उत्पादकों की परियोजनाएं तैयार नहीं हो रही है उनको अब सरकार से राहत मिल सकती है। ऐसे अनगिनत प्रोजेक्ट हैं, जिनको वन मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिली है, वहीं कई प्रोजेक्ट यहां प्रदेश की औपचारिकताएं पूरी करने में ही फंसे हुए हैं। ऐसे ऊर्जा उत्पादक जिनके प्रोजेक्ट तय अवधि में पूरे नहीं हो पाते, उन पर सरकार पेनेल्टी लगाती है और पेनेल्टी पर इंट्रस्ट भी लगता है। इस अतिरिक्त रूप से लगने वाले इंट्रस्ट को सरकार से खत्म करने की मांग उठाई गई है। सूत्रों के अनुसार इसे सरकार खत्म करने की सोच रही है, जिस पर जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा। यहां लगातार जयराम सरकार ऊर्जा उत्पादकों को राहतें दे रही है, ताकि वह ज्यादा परेशानी में न पड़ें और यहां पर प्रोजेक्टों का निर्माण आसानी से कर सकें। हाल ही में शिमला में ऊर्जा उत्पादकों का एक सम्मेलन हुआ था, जिसके बाद सरकार ने एक कमेटी का गठन भी किया है। उत्पादकों ने इस सम्मेलन में ये मुद्दा जहां उठाया है, वहीं सरकार को दिए ज्ञापन में भी इस मुद्दे को उठाया है। इस पर ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने चर्चा भी की है। जल्द ही यह मामला कैबिनेट में लाया जाएगा, जिस पर ऊर्जा मंत्री भी गंभीर हैं। बताया जाता है कि मंत्रालय से कई तरह की आपत्तियां लगाकर प्रोजेक्टों को वापस भेजा जा रहा है जिसको क्लीयर करने में ही उत्पादकों का समय गुजर गया है। बड़ी संख्या में ऐसे उत्पादक हैं, जिनके प्रोजेक्टों को शुरू करने की अवधि अब निकल चुकी है और वह लोग नियमों के तहत आने वाले पेनेल्टी दे रहे हैं, मगर पेनेल्टी पर इंट्रस्ट भी लगाया जा रहा है, जिसका भारी भरकम खर्चा प्रोजेक्ट उत्पादक अब उठाने को तैयार नहीं है।
वक्त पर नहीं मिल रही मंजूरी
ऊर्जा उत्पादकों का कहना है कि जब समय पर क्लीयरेंस नहीं मिल रही है, तो इसमें उनका क्या कुसूर है। प्रदेश में भी ग्राम सभाओं की अनुमति कई जगहों पर नहीं मिल रही हैं। पंचायतों द्वारा भारी भरकम पैसा मांगे जाने की शिकायत भी सरकार से की गई है, जिससे प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी अवगत हैं।
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