गंदगी के जख्म देकर चलती बनी संस्थाएं  

By: Aug 22nd, 2018 12:05 am

 गगरेट  —मां चिंतपूर्णी के सावन नवरात्र मेले के दौरान लंगर लगाने आईं पंजाब की कई धार्मिक संस्थाएं यहां लंगर लगाकर पुण्य का भागीदार बनकर लंगर समेट कर तो चलती बनी, लेकिन देवभूमि की सुंदर धरा पर गंदगी के बदनुमा दाग जरूर लगा गईं। हद तो यह है कि पुण्य का भागीदार बनने वाली संस्थाओं ने लंगर के इर्द-गिर्द फेंके गए कूड़े-कचरे को ठिकाने लगाना जरूरी नहीं समझा। बेशक सरकारें स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों को स्वच्छता का महत्त्व बता रही हैं। अहम बात यह है कि मुबारिकपुर-होशियारपुर मार्ग के आसपास फैली गंदगी की सफाई करने से पहले ही मेला प्रशासन ने भी मेला समाप्त होने की आधिकारिक घोषणा कर दी और उन सरकारी संस्थानों ने भी इस कचरे को उठाने के लिए तरजीह नहीं दी जिन्होंने बकायदा धार्मिक संस्थाओं से जमानत राशि लेकर इन्हें लंगर लगाने की मंजूरी दी थी। जाहिर है कि लंगर लगाने वाली संस्थाएं सोचती है कि श्रद्धालुओं को लंगर बांट कर उन्हें मां का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होगा लेकिन मां के आंचल में लगाए जा रहे प्लास्टिक कचरे व गंदगी के ढेर उन्हें मां के आशीर्वाद के किस तरह काबिल बनाएंगे, यह सोचने की कभी किसी संस्था ने शायद जरूरत ही नहीं समझी। होशियारपुर-मुबारकपुर राष्ट्रीय मार्ग के किनारे इन दिनों प्लास्टिक कचरे से भरे पड़े हैं। यहां तक कि सुप्रसिद्ध द्रोण महादेव शिव मंदिर शिवबाड़ी के समीप भी कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं, लेकिन इन्हें हटाने के लिए अभी कोई पहल नहीं की गई। ऐसे में सवाल यह है कि क्या ऐसे स्वच्छ भारत अभियान की पटकथा लिखी जाएगी।  जब तक प्रशासन की ओर से उन्हें साफ-सफाई का आकलन कर अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर दिया जाता। उधर] खंड विकास अधिकारी सुदर्शन सिंह का कहना है कि जिन पंचायतों के अधीन लंगर लगाए गए थे उन पंचायतों को अब साफ-सफाई करवाने की हिदायत दी जाएगी।


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