चीड़ पत्तियों से बने उत्पादों को जीआई टैग

By: Aug 7th, 2018 12:01 am

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बनाएंगे प्रोडक्ट, कारीगरों को बेहतर मार्केट

धर्मशाला— चीड़ की पत्तियों से बने उत्पादों के लिए अब ज्योग्राफिकल इंडिगेटर (जीआई) टैग दिलाने के लिए प्रदेश सरकार कवायद शुरू करेगी। प्रदेश में चीड़ की पत्तियों को कुछ समय पहले मात्र जंगलों का दुश्मन माना जाता था, लेकिन अब इन्हीं पत्तियों से बने प्रोडक्ट्स को जीआई टैग दिलाकर हिमाचल में अलग पहचान मिलने वाली है। जल्द से आग पकड़ने वाली इन पत्तियों से बने प्रोडेक्ट्स जल्द ही अंतरराष्ट्रीय मार्केंट में धूम मचाएंगे। हिमाचल में चीड़ के जंगल अधिक होने से प्रदेश में इस कारोबार में अपार संभावनाएं उभर चुकी हैं। साथ ही इस क्षेत्र में लोगों ने कारोबार भी शुरू कर दिया है। पहाड़ी प्रदेश में गर्मियों में जगलों में आग लगने से करोड़ों रुपयों का नुकसान होता है और कई लोगों सहित जानवर व जीव जंतु भी इसका शिकार होते हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार ने भी नई पहल की है। कैबिनेट ने चीड़ की पत्तियों को वनभूमि से एकत्र करने व हटाने के लिए नीति को मंजूरी दी है, ताकि इनका उपयोग चीड़-पाइन आधारित लघु उद्योगों की स्थापना के लिए किया जा सके। इससे वनों में आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगेगा तथा उद्योगों को चीड़ की पत्तियों को इंधन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। राज्य सरकार ऐसे उद्योग स्थापित करने के लिए पूंजीगत लागत का 50 प्रतिशत निवेश सबसिडी मिलेगी। बाजार में अभी इस प्रोडक्ट को उतारा नहीं गया है, लेकिन बहुत जल्द इस प्रोडक्ट को जीआई टैग मिलने के बाद बाजार में भी एक लोगो के साथ उतारा जाएगा। हिमाचल प्रदेश में इससे पूर्व जीआई टैग किन्नौरी टोपी, कुल्लू शॉल, चंबा रूमाल और कांगड़ा चाय को दिया जा चुका है। भारत में पहली बार जीआई टैग दार्जलिंग चाय को 2004 में दिया गया था। चीड़ की पत्तियों से बने उत्पादों की प्रेजेंटेंशन वन मंत्री गोविंद ठाकुर के समझ रखी गई, जिसमें गोविंद ठाकुर भी इन उत्पादों को देख हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों से इसमें तारीफ सुनी थी, लेकिन इसमें इतना जबरदस्त कार्य हो रहा है, इसकी कल्पना नहीं की थी। इन उत्पादों को तैयार कर रहे कारीगरों से भी गोविंद ठाकुर ने लंबी बातचीत की। इसमें उन्होंने विस्तार से जानकारी प्राप्त की। वहीं अभिनीत कात्यान बीडीओ धर्मशाला ने बताया कि  पिछले कई सालों से इस प्रोडक्ट को तैयार किया जा रहा है। इस बार एनआईएफटी कांगड़ा के छात्रों ने इन उत्पादों को आधुनिक दौर के मुताबिक तैयार करने का आइडिया दिया। इसके बाद अब कारीगर एनआईएफटी के छात्रों के दिए आइडिया पर ही कार्य कर रहे हैं और इन्हें लोग पहले से ज्यादा पसंद कर रहे हैं।


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