ठियोग नगर परिषद को 5 लाख जुर्माना

By: Aug 31st, 2018 12:15 am

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने की कार्रवाई, रोरू के जंगल में कूड़ा फेंकने और फोरेस्ट क्लीयरेंस न लेने पर लगाई पेनेल्टी

ठियोग— नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ठियोग नगर परिषद को रोरू के जंगल में कूड़ा फेंकने व फोरेस्ट की क्लीयरेंस न होने पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही नगर परिषद को एक महीने के अंदर कूड़ा संयंत्र खाली करने का नोटिस भी दिया है। यदि नगर परिषद न्यायालय के इस आदेश को अब भी अनसुना करती है, तो फिर से नगर परिषद पर जुर्माना लग सकता है। पिछले करीब एक साल से न्यायालय में चल रहे मामले की सुनवाई हुई है और दोबारा से अब इस जगह पर कूड़ा न डालने के आदेश भी नगर परिषद को दिए गए हैं। नगर परिषद ने एनएच-पांच कुई के पास जिस जगह पर कूड़ा संयंत्र स्थापित किया है, उसके लिए न तो फोरेस्ट क्लीयरेंस ली गई है और साथ ही इसके निर्माण में जो राशि नगर परिषद ने खर्च की है, वह भी सवालों के घेरे में आ गई है। बता दें कि साथ लगती चिखड़ पंचायत के हस्तक्षेप के बाद एनजीटी ने यह फैसला सुनाया है। पंचायत ने न्यायालय में याचिका दायर करते हुए हवाला दिया था कि नगर परिषद ठियोग द्वारा जिस जगह पर कूड़ा फेंका जा रहा है, उसके ठीक नीचे चिखड़ नाला बहता है, जिसका पानी पंचायत के अलावा ठियोग को भी सप्लाई किया जाता है, लेकिन नगर परिषद द्वारा फेंके जा रहे कूड़े से बारिश के दौरान अधिकतर कूड़ा सीधे नीचे नाले में इकट्ठा हो जाता है, जिससे पानी दूषित हो रहा है। चिखड़ पंचायत प्रधान राकेश कश्यप ने इस बारे में एनजीटी में नगर परिषद के खिलाफ  शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर पहले नौ मई को एनजीटी ने फैसला सुनाया था और अब दोबारा से जुर्माना लगाकर इसे बंद करने के आदेश हुए हैं। चिखड़ पंचायत ने नगर परिषद पर इसके अलावा इस कूड़े को जलाने पर उठने वाले धुएं तथा बदबू को लेकर भी यहां पर वातावरण को दूषित करने का आरोप लगाया। प्रधान राकेश कश्यप का कहना है कि पंचायत के लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। वहीं कार्यकारी अधिकारी उर्वशी वालिया का कहना है कि वह अभी अवकाश पर हैं। उन्हें अभी फैसले की कापी नहीं मिल पाई है। नगर परिषद को पांच लाख का जुर्माना लगा है। अब ठियोग का कूड़ा शिमला ले जाया जाएगा, जिसकी बात हो गई है। उधर, ठियोग में वन विभाग के रैंज आफिसर हरि सरन ने बताया कि फोरेस्ट की क्लीयरेंस न होने के बाद विभाग ने करीब 70 हजार की डीआर काटी है और कूड़ा न फेंकने के लिए भी कई बार कमेटी को बोला गया था।

कूड़ा संयंत्र पर खर्च किए 35 लाख

अभी तक इस पर 30 से 35 लाख के करीब राशि नगर परिषद खर्च कर चुकी है। एनजीटी की इस कार्रवाई के बाद नगर परिषद के अधिकारियों पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। जब संयंत्र लगाने के लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस ही नहीं थी, तो काम कैसे करवाया गया, जिस पर नगर परिषद के अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

क्या कहते हैं पंचायत प्रधान

चिखड़ पंचायत प्रधान के प्रधान राकेश कश्यप ने कहा कि 27 अगस्त को एनजीटी ने फैसला सुनाया है, जिसकी पेशी दिल्ली में हुई थी। पहले नौ मई को भी एनजीटी फैसला सुना चुकी थी, लेकिन नगर परिषद ने कूड़ा डालना व इसे जलाना नहीं छोड़ा। इसके बाद यह कार्रवाई हुई है।


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