डीजीपी मरड़ी की अब बढ़ सकती हैं मुश्किलें

By: Aug 21st, 2018 12:15 am

शिमला- फोन टैपिंग मामले में डीजीपी एसआर मरड़ी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने पुलिस को दी शिकायत में सीआईडी की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। सीआईडी पर आईडी भंडारी की अलमारी अवैध तरीके से कब्जे में लेने के गंभीर आरोप हैं, इसी अलमारी से फोन टैपिंग के कई सबूत होने का दावा किया गया था। भंडारी द्वारा पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाने के बाद कई अधिकारियों तक भी इसकी आंच पहुंचना तय है। हिमाचल के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में कई अन्य अधिकारियों के साथ-साथ डीजीपी एसआर मरड़ी की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने इस मामले में कुछ दिन पहले छोटा शिमला में केस दर्ज करवाया है। पुलिस को शिकायत में भंडारी ने अधिकारियों पर गैर कानूनी तौर पर तथाकथित फोन टैपिंग मामले की जांच शुरू करने के आरोप लगाए हैं। इस पत्र मे कहा गया है कि कायदे से यह टेलोग्राफ एक्ट का मामला है और ऐसे मामलों में न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश के बाद ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है, लेकिन सीआईडी के अफसरों व अन्य अधिकारियों ने बिना एफआईआर दर्ज किए ही सीआईडी के टेक्निकल सैल में दबिश देकर कई कम्प्यूटर सीज किए। इन कम्प्यूटरों में नशे व अन्य गंभीर अपराधों में शामिल लोगों के डाटा के साथ-साथ देश की सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील डाटा था। पुलिस को शिकायत में पूर्व डीजीपी भंडारी ने सीआईडी की कार्रवाई को गैर कानूनी करार दिया है। भंडारी ने सीआईडी पर उनकी अलमारी को कब्जे में लेने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस अलमारी को तत्कालीन एडीजीपी एसआर मरड़ी की अगवाई में सीआईडी ने कब्जे में लिया था। यह वही अलमारी थी, जिसमें फोन टैपिंग के सबूत होने का दावा सीआईडी ने किया था, लेकिन आईडी भंडारी का आरोप रहा है कि यह अलमारी उनकी अनुपस्थिति में कब्जे में ली गई और इसे खोला गया। हालांकि सीआईडी का दावा रहा है कि यह अलमारी आईडी भंडारी के बाद बने डीजीपी बी कमल कुमार की उपस्थिति में कब्जे में ली गई थी, लेकिन विजिलेंस की जांच में सीआईडी का यह दावा सही नहीं पाया गया। इसी आधार पर विजिलेंस ने भी अक्तूबर-नवंबर 2015 में राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर एसआर मरड़ी पर कार्रवाई की सिफारिश की थी, वहीं अब आईडी भंडारी ने भी पुलिस को दी शिकायत में सीआईडी की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं, एसआर मरड़ी उस समय सीआईडी के एडीजीपी थे। ऐसे में वह भी इस जांच के दायरे में हैं। इनके अलावा तत्कालीन प्रधान सचिव गृह पीसी धीमान, आईजी अभिषेक त्रिवेदी, आईजी एपी सिंह, एसपी डा. रमेश छाजटा तक इसकी आंच पहुंच गई है, वहीं इस मामले में तत्कालीन डीसी शिमला दिनेश मल्होत्रा की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। कांग्रेस सरकार के बनने पर दिसंबर 2012 को सीआईडी के टेक्निकल सैल को सीज कर यहां से कम्प्यूटर सीज किए गए थे। इसके बाद सीआईडी ने आईडी भंडारी की अलमारी कब्जे में ली।

छोटा शिमला में केस दर्ज

भंडारी पर आरोप था कि उनके सीआईडी का प्रमुख रहते हुए सैकड़ों लोगों के फोन टैप किए गए। विजलेंस ने बाद में जो चालान पेश किया, उसमें दो लोगों के फोन टैप होने की बात सामने आई और इसमें भंडारी को आरोपी बनाया गया था, लेकिन अदालत ने आईडी भंडारी का केस खारिज कर दिया। इसके बाद भंडारी की ओर से आला प्रशासनिक अधिकारियों, सीआईडी व पुलिस के अफसरों के खिलाफ छोटा शिमला में केस दर्ज करवाया है।


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