देवदारों से घिरा हुआ है नालदेहरा (शिमला)
सर्वप्रथम 1905 में लॉर्ड कर्जन ने नालदेहरा में गोल्फ खेला, 1905 में गोल्फ खेल का आरंभ हुआ जो यहां हुआ, वह आज भी अपनी चरम सीमा पर है। हिमाचल प्रदेश के निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार भी नालदेहरा में गोल्फ खेला करते थे और आज भी यहां पर बडे़-बड़े सैन्य अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी व प्रतिष्ठित लोगों द्वारा गोल्फ खेला जाता है। यहां पर मुख्य मार्ग के साथ एक स्थानीय देवता का मंदिर है…
नारकंडा
नारकंडा 2774 मीटर (8850 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान से एक व्यक्ति आंतरिक हिमालय की बर्फानी चोटियों का श्रेष्ठ नजारा देख सकता है। नारकंडा में घने चीड के जंगल हैं, जो इमारती लकड़ी के प्रचुर भंडार हैं। 3350 मीटर (10826 फुट) ऊंची चोटी ‘हाटू’ शिखर यहां से आट किलोमीटर दूर है।
निचार
किन्नौर के लोग इस स्थान को नचर या नाल्ची कहते हैं। यह स्थान 7200 फुट की ऊंचाई पर तरांडा और बांगतू के बीच में अपनी सुंदर प्राकृतिक छटा के लिए प्रसिद्ध है। लोगों के आकर्षण केंद्र भी है निचार।
नालदेहरा
शिमला मंडी मार्ग पर 25 किलोमीटर की दूरी पर एक रमणीय सुंदर व शांत पर्यटक स्थल और गोल्फ खेलने के लिए शिमला में एकमात्र नालदेहरा लंबे-लंबे देवदार के वृक्षों से घिरा और हरी घास में लिपटा यह पर्यटक स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण स्थल है। सर्वप्रथम 1905 में लॉर्ड कर्जन ने नालदेहरा में गोल्फ खेला, 1905 में गोल्फ खेल का आरंभ हुआ जो यहां हुआ, वह आज भी अपनी चरम सीमा पर है। हिमाचल प्रदेश के निर्माता डा. यशवंत सिंह परमार भी नालदेहरा में गोल्फ खेला करते थे और आज भी यहां पर बडे़-बड़े सैन्य अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी व प्रतिष्ठित लोगों द्वारा गोल्फ खेला जाता है। यहां पर मुख्य मार्ग के साथ एक स्थानीय देवता का मंदिर है। इसी मंदिर के आधार पर यहां का नाम नालदेहरा पड़ा। हिमाचल प्रदेश टूरिज्म विभाग ने यहां एक रेस्टोरेंट खोला है। गोल्फ को संचालित करने के लिए क्लब भी बना है, जिसमें 300 के लगभग सदस्य हैं। नालदेहरा में हर समय व हर मौसम में पर्यटक आते हैं। यह स्थान प्रदूषण से मुक्त व चहल-पहल से मुक्त शांत व सुंदर एवं मनमोहक स्थल है। फिल्म निर्माता भी अपनी फिल्म की शूटिंग के लिए इस स्थान पर आते हैं।
मशोबरा यह शिमला- तत्तापानी सड़क पर शिमला से 15 किलोमीटर की दूरी पर 7500 फुट की ऊंचाई पर प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त एक पर्यटन स्थल है। यहां पर क्षेत्रीय फल अनुसंधान केंद्र भी है। क्रैगनेनो नामक डाक बंगला यहां की सर्वोत्तम आरामगाह है। यहां जून माह में सिप्पी नामक मेला भी लगता है।
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