देश-विदेश में गुग्गा जाहरपीर की वीरता

By: Aug 17th, 2018 12:01 am

हिमाचली लेखकों की अनूठी पहल, 14 अक्तूबर को लांच होगी किताब

बिलासपुर— हिमाचली लेखकों की अनूठी पहल गुग्गा जाहरपीर की जीवनी पर आधारित पुस्तक 14 अक्तूबर को लांच की जाएगी। बिलासपुर में आयोजित किए जाने वाले लेखक संघ के सालाना समारोह में इस पुस्तक का विमोचन होगा, जिसके लिए गुग्गा राणा के वंशज एवं राजस्थान राज्य में ददरेवा स्थित गुग्गा जाहरपीर के मुख्य मंदिर के पुजारी जीतू सिंह चौहान को समारोह में बतौर मुख्यातिथि आमंत्रित किया गया है। खास बात यह है कि इस किताब में गुग्गा जाहरपीर से जुड़ी गद्य शैली की सारी कथाओं और गाथाओं का उल्लेख है। लेखक संघ बिलासपुर के अध्यक्ष रोशनलाल शर्मा ने बताया कि सांपों के सबसे बड़े शत्रु गुग्गा जाहरपीर की वीरता के किस्से अब हिमाचल ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया पढ़ेगी। हालांकि हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात व राजस्थान के जन-जन के अराध्य गुग्गा जाहरपीर के बारे में शोधपरक व तथ्यात्मक रूप में लिखना अति कठिन कार्य था, लेकिन लेखकों ने इसे एक चुनौती के तौर पर लिया और एक साल से भी कम समय में खोजबीन पूरी करके एक पुस्तक की शक्ल दी। श्री शर्मा के अनुसार वह खुद और संघ के महासचिव सुरेंद्र मिन्हास, कार्यकारिणी सदस्य एनआर हितैषी तथा जसवंत सिंह चंदेल की टीम को इस अनुसंधान का उत्तरदायित्व सौंपा गया था। यह टीम राजस्थान के ददरेवा, गोगा मेड़ी, डुंगी डाबर और बीकानेर इत्यादि जगहों के दौरे पर गई और गुग्गा जाहरवीर चौहान के बारे में तथ्य जुटाए गए। दूसरी मर्तबा यही दल जयपुर विश्वविद्यालय और जयपुर के आसपास के स्थानों के दौरे पर अनुसंधान के लिए गया था। वहां के विद्वानों से चर्चा करके तथ्य जुटाए गए और राजस्थान में तैयार की गई गुग्गा जी से संबंधित पुस्तकें भी साथ लाए। फिर चारों लेखकों ने विषय बांटकर लेखन कार्य आरंभ किया। लेखक संघ बिलासपुर के अध्यक्ष रोशनलाल शर्मा ने खबर की पुष्टि की है।

…गुग्गा जी के आगे कांपते थे दुश्मन

गोगाजी जाहरपीर चौहान मारू देश के राजा हुआ करते थे और माता बाछल के पुत्र व गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे। इनका जन्म चुरू जिला के ददरेवा कस्बे में हुआ था और पैदा होते ही उनमें अद्भुत शक्तियां विद्यमान थीं। गुग्गा की अपने मौसेरे भाइयों अर्जुन-सुर्जन से नहीं बनती थी। गुग्गा की शादी सुरियल से हुई थी। खुड्डी में दुश्मनों के साथ लड़ाई में उनके अंगरक्षक बने अर्जुन-सुर्जन ने छल से गुग्गा को मारना चाहा, लेकिन गुग्गा ने दोनों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे। वर्तमान में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में लोक देवता के रूप में इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।


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