धूल फांक रहीं 26 लो-फ्लोर बसें  

By: Aug 22nd, 2018 12:05 am

 ऊना —स्मार्ट सिटी की तर्ज पर ऊना में चलाई गई लो-फ्लोर नीली बसों के पहिए एक वर्ष बाद भी नहीं चल पाए हैं। इससे ऊना डिपो को एक साल में करोड़ों का घाटा हुआ है। वहीं, जनता को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन बसों को कलस्टर से बाहर चलाने का मामला माननीय हाई कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन सरकार व परिवहन विभाग इस बारे में अभी भी कोई खास रणनीति तैयार नहीं कर पाई है। इसके चलते ऊना जिला से करीब 26 लो-फ्लोर नीली बसें एचआरटीसी वर्कशॉप में खड़े-खड़े खराब होने की कगार पर है। इनमें 13 वे बसें भी शामिल हैं, जिन्हें रूट परमिट ही नहीं मिल पाया था। रूट पर दौड़ रही 32 बसों में से 18 को कलस्टर के बाहर चलाने पर रोक लगाई थी। जब हाई कोर्ट ने इन बसों को कलस्टर से बाहर चलाने पर रोक  लगाई थी तो ऊना डिपो के 27 रूट बंद हो गए थे। इनमें से जो बहुत ही जरूरी लांग रूट थे उन पर एचआरटीसी की पुराने वाली बसें लगाकर इन्हें बहाल किया गया, लेकिन बसें न चलने के कारण अभी भी एचआरटीसी ऊना के दस के करीब रूट ठप पड़े हैं। जिला ऊना में परिवहन निगम ने स्मार्ट सिटी की तर्ज पर यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए कुल 45 लो-फ्लोर बसें बेड़े में शामिल की थी। जबकि अगस्त माह 2017 में हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद विभिन्न रूटों पर चलाई जा रही एचआरटीसी की 18 बसें बंद कर दी गई थीं। जब कि अन्य बसें पहले से ही रूट परमिट न मिलने के चलते वर्कशॉप में खड़ी थीं। मौजूदा समय में अब इन हाईटेक बसों में से मात्र 15 बसें ही अपने रूटों पर चल रही हैं, जिनका दायरा 40 किलोमीटर तक ही सीमित है। ऊना-हमीरपुर, ऊना-बद्दी, दिल्ली-कालका, दौलतपुर-कालका, ऊना-माहिलपुर, ऊना-होशियारपुर-चिंतपूर्णी, चिंतपूर्णी-होशियारपुर-चिंतपूर्णी, ऊना-कालका, ऊना-गगरेट-माहिलपुर इत्यादि रूट एक साल से प्रभावित हैं। इन बसों के बस रूट चंडीगढ़, धर्मशाला, कालका सहित अन्य जिलों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य पंजाब के होशियारपुर, जेजों आदि स्थानों पर चलते रहे थे। अब हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इन बसों को 40 किलोमीटर के दायरे में ही चलाने के निर्देश जारी हुए हैं।


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