भाईयों की कलाई पर सजेगी ऊना कालेज की राखियां 

By: Aug 22nd, 2018 12:05 am

 ऊना —राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऊना के एमबीए स्टूडेंट्स द्वारा बनाई गई राखियां इस बार लोगों की कलाईयों में दिखेंगी। केंद्र सरकार की ‘स्टार्ट अप’ योजना के तहत कालेज प्रशासन की ओर से स्टूडेंट्स को बिजनेस और उद्योग जगत की बारिकियां सीखाने के उद्देश्य से यह अनूठी पहल की गई है। स्टूडेंट्स द्वारा बनाई राखियों की कॉलेज में प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इन राखियों को बेचने के लिए एमबीए स्टूडेंट्स द्वारा अपने ही डिपार्टमेंट के बाहर दो काउंटर लगाए गए हैं। इनमें कालेज स्टूडेंट्स के अलावा कालेज स्टाफ सदस्य भी राखियां खरीददने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हालांकि पहली बार इन राखियों को बनाने के लिए नाममात्र बजट ही खर्चा गया है। लेकिन यदि प्रयास सफल रहे तो अगली बार बाजार में ही कालेज प्रशासन द्वारा अपना प्रोडक्ट उतारा जा सकता है। बजट के हिसाब से होने वाला प्रोफिट इन राखियों में बनाने के लिए सहयोग करने वाले स्टूडेंट्स को ही दिया जाएगा। कालेज प्रशासन के अनुसार इस बार एमबीए विभाग की ओर से कुछ अलग करने के लिए राखियों का प्रोजेक्ट स्टूडेंट्स को दिया गया। इसके तहत एमबीए स्टूडेंट्स राहुल कुमार, अक्षय कुमार, रोहित सैणी, माघव संधू, जीना ठाकुर, राजेश कुमार, अंकुश भारद्वाज, गुरलीन कौर, अवतार सिंह, राजीव धीमान, शुभम जम्बाल, विजय कुमार, रीता रानी, असिमिता, दीक्षा, प्रीति, रंजना देवी, दीपमाला, शुभम ने थोड़े-थोड़े पैसे कंट्रीब्यूट किए। कुल मिलाकर 1500 रुपएकी राशि एकत्रित हुई। इससे इन्होंने राखियों को बनाने के लिए कुछ एक रॉ मैटीरियल खरीदा। बाकायदा इन स्टूडेंट्स द्वारा राखियां बनाई गईं। इसके चलते आज इन राखियों को बेचने के लिए दो काउंटर कालेज में लगाए गए हैं। कालेज में 25 अगस्त तक राखियां बेची जाएंगी। वहीं, कालेज प्राचार्य डा. त्रिलोक चंद ने कहा कि केंद्र की स्टार्ट अप योजना के तहत बच्चों को कुछ नया सीखाने के लिए प्रयास किए गए हैं। एमबीए विभाग भी इसके लिए बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि कैसे छोटे उद्योग आरंभ करना है और उसे विकसित करना है। मार्केटिंग कन्सेप्ट को कैसे प्रयोग किए जाना है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में स्टूडेंट ने बढ़-चढ़कर भाग लिया है।

प्रोजेक्ट पर 1500 रुपए आया खर्च

कालेज स्टूडेंट राजीव धीमान, असिमिता का कहना है कि स्टूडेंट्स ने पैसे एकत्रित कर इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि विभाग के शिक्षक द्वारा उन्हें यह प्रोजेक्ट दिया गया था। 1500 रुपए राखियां बनाने पर खर्च हुए हैं। वहीं, अब तक एक हजार रुपए की राखियां बेची जा चुकी हैं।


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