वेब पोर्टल से मुफ्त होगी परीक्षाओं की तैयारी

By: Aug 7th, 2018 12:02 am

चंडीगढ़ — हिमाचल प्रशासनिक सेवा ;एचएएस में 2003 बैच के 39 वर्षीय अधिकारी राजीव कुमार देश की शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं। इस समय वे बीबीएनडीए ;बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण में अतिरिक्त सीईओ के पद पर सेवारत हैं। अनेक वर्षों के अभ्यास और अनुसंधान के आधार पर उन्होंने ऑडियो-विजुअल वीडियो की मदद से सीखने और पढ़ाने की एक तकनीक विकसित की है, जो स्मृति यानी याद्दाश्त को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, मेरी तकनीक छात्रों को दो से तीन दिनों में तथ्यों को याद रखने में मदद करती है, अन्यथा ऐसा करने में तीन महीने लग सकते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मैंने एक वेब पोर्टल ‘इंडिया ब्रेन पॉवर डॉट कॉम’ और एक यूट्यूब चैनल ‘इंडिया ब्रेन पॉवर’ पेश किया है। उन्होेंने कहा कि इससे मैं छात्रों का मार्गदर्शन आसानी से कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस यूट्यूब चैनल पर, स्मृति पढ़ाई एवं परीक्षा तकनीक, भारत के बारे में तथ्य, विश्व के बारे में तथ्य, अंग्रेजी उच्चारण में सुधार, भारत की जनगणना डेटा जैसे विषयों पर वीडियो मौजूद हैं। उल्लेखनीय है कि 1996 में राजीव ने तथ्यों को याद रखने की अपनी आश्चर्यजनक क्षमता के लिए लिम्का बुक ऑफ  रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था। उन्होंने मैमरी, स्टडी एंड एग्जाम तकनीक नामक एक किताब भी लिखी है, जिसे हिमाचल सरकार द्वारा प्रदेश के सभी पुस्तकालयों में रखने की सिफारिश की गई है। राजीव केवल एक मिनट में 50 अंकों की संख्या को याद रखने की अनूठी क्षमता रखते हैं । राजीव ने पत्राचार माध्यम से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और हिमाचल प्रशासनिक सेवा परीक्षा में सफलता के लिए अपनी तकनीकों का ही प्रयोग किया था। राजीव का मानना है कि कुछ छात्र अकसर परीक्षा में असफल रहने पर आत्महत्या तक कर लेते हैं, जबकि असल में यह समाज की विफलता है, जो केवल उनके नंबरों के आधार पर ही उनकी सराहना करता है, न कि उनकी विशेष प्रतिभा पर।   उन्होंने कहा कि मैं 10 से ज्यादा ऐसे मामले जानता हूं, जिनमें छात्रों ने आत्महत्या कर ली या किसी तरह के मनोवैज्ञानिक विकारों से पीडि़त हो गए, क्योंकि वे अच्छे अंक नहीं ला सके, इसलिए मैंने इस वेबसाइट को उन लोगों की मदद करने के लिए बनाया है, जो प्रतियोगिता परीक्षाओं या किसी अन्य परीक्षा की तैयारी में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य उन लोगों की मदद करना है, जो दूरदराज के इलाकों में रह रहे हैं और महंगी कोचिंग लेने में असमर्थ हैं। मैं इस परियोजना को चलाने के लिए अपने वेतन से करीब 20-25 हजार रुपए हर महीने खर्च करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए कंपनियों, निवेशकों या किसी एनजीओ से मदद मिलने की उम्मीद  भी रखता हूं, ताकि मैं भारत में हर छात्र तक पहुंच संकू।


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