शिक्षकों की कमी पर हाई कोर्ट सख्त

By: Aug 30th, 2018 12:02 am

किस जिले के किस स्कूल में किस विषय के कितने पद खाली, दो हफ्ते में बताएं

शिमला — प्रदेश में शिक्षकों के लगभग चौदह हजार खाली पड़े पदों के मामले में हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव शिक्षा को आदेश दिए हैं कि वह दो सप्ताह के भीतर शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि किस-किस जिले में किस-किस विषय के कितने-कितने पद खाली हैं। खंडपीठ ने आदेश दिए कि जानकारी सारणीबद्ध तरीके से अदालत के समक्ष पेश की जाए। जेबीटी प्रशिक्षुओं ने प्रतिवेदन के माध्यम से अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा जेबीटी के पद भरते समय ईटीटी प्रशिक्षुओं को जेबीटी प्रशिक्षुओं से ज्यादा प्राथमिकता दी गई। हालांकि ईटीटी प्रशिक्षुओं का कोर्स जेबीटी प्रशिक्षुओं से बिलकुल अलग है। प्रतिवेदन के माध्यम से आग्रह किया गया कि प्रार्थियों को इस याचिका में प्रतिवादी बनाया जाए। प्रतिवेदन से अदालत को बताया गया कि जे एंड के से जिन अभ्यर्थियों ने ईटीटी का डिप्लोमा किया गया है, वह हिमाचल प्रदेश में करवाए जा रहे ईटीटी कोर्स से बिलकुल अलग है। आरोप लगाया गया है कि जम्मू-कश्मीर से जिन लोगों ने ईटीटी का डिप्लोमा किया है, उसके खिलाफ छानबीन के बाद क्राइम ब्रांच जम्मू में प्राथमिकी दर्ज है। पुलिस छानबीन में पाया गया है कि ईटीटी कोर्स करने के लिए छात्र संस्थानों में नियमित रूप से नहीं जाते थे, बल्कि परीक्षा के समय ही संस्थानों में हाजिरी लगाते थे। बावजूद इसके राज्य सरकार द्वारा जेबीटी के पद भरते समय ईटीटी प्रशिक्षुओं को जेबीटी प्रशिक्षुओं से ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है। अदालत ने प्रतिवेदन की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को जवाब दायर करने का समय दिया था और खंडपीठ ने आदेशों में स्पष्ट किया कि जेबीटी पदों पर ईटीटी कोर्स वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति इस याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी।

इंटरव्यू वीडियोग्राफी के लिए नोटिस

शिमला — प्रदेश में सरकारी पद भरने के लिए साक्षात्कार के समय पारदर्शिता बरते जाने की गुहार को लेकर दायर याचिका में प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार सहित लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागबानी विश्वविद्यालय सोलन को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। प्रार्थी अधिवक्ता विश्व भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार सरकारी पद भरने के लिए साक्षात्कार के समय वीडियोग्राफी किए जाने के आदेश देने की गुहार लगाई है। प्रार्थी ने दलील दी है कि पूरे देश में कर्मचारी/अधिकारी भर्ती घोटाला सुर्खियों में रहता है। प्रार्थी ने दलील दी है कि इस तरह की भर्ती घोटाले रोकने के लिए और भर्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हरेक साक्षात्कार की वीडियोग्राफी किए जाने के आदेश दिए थे, लेकिन राज्य सरकार की भर्ती एजेंसियां साक्षात्कार करते समय वीडियोग्राफी नहीं करती, जिससे भर्ती में गड़बड़ी किए जाने की आशंका बनी रहती है। कभी तो छंटनी परीक्षा में टॉपर को भी साक्षात्कार के समय बाहर का रास्ता दिखाया जाता है।


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