स्वच्छता अभियान के डस्टबिन

By: Aug 11th, 2018 12:05 am

नीतिश धीमान जवाली, कांगड़ा

आखिर दिल्ली से चला स्वच्छता अभियान मेरे गांव के डस्टबिन तक आ पहुंचा है, तो इसकी समीक्षा हमारी गली की गंदगी भी करेगी। नर्म प्लास्टिक के दो शानदार डिब्बे गांव की गली को बता रहे हैं कि घर के कचरे का निपटान किस तरह करना है। बहरहाल डस्टबिन यह भी बता रहे हैं कि क्षेत्र के विधायक और सांसद कौन हैं। डस्टबिन में कचरे का इंतजार करते जनप्रतिनिधियों का नामकरण इस स्थिति में देखकर खुशी होती है कि कोई तो है जो प्रधानमंत्री की स्वच्छता मुहिम की सुरक्षा कर रहा है। यह दीगर है कि डस्टबिन आने से चमत्कार हुआ और जनता की आदत बदल गई। कचरे की तहों में भरते डस्टबिन अब सफाई की मौन गवाही में यह भूल गए कि इन्हें खाली भी करना है। लिहाजा अब वहां आवारा पशु बारी-बारी मुंह मारते हैं। यानी स्वच्छता का बोझ ढोते डस्टबिन दिनभर आवारा पशुओं के भोजन की व्यवस्था करते हैं क्योंकि इन्हें खाली करने की कोई व्यवस्था नहीं है। हाल यह है कि जहां डस्टबिन लग रहे हैं, वहां हर तरह की गंदगी को आराम मिल रहा है। सड़ांध के आलम में स्वच्छता अभियान को भी नाक पर रुमाल रखकर चलना पड़ रहा है। क्या डस्टबिन की जोड़ी से स्वच्छता अभियान पूरा हो जाएगा या कूड़े को किनारे लगाने का इंतजाम भी करना होगा।


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