हर फलसफे पर गीत लिखने में माहिर थे शैलेंद्र

By: Aug 30th, 2018 12:04 am

दो दशक से अधिक समय तक लगभग 170 फिल्मों में जिंदगी के हर फलसफे और जीवन के हर रंग पर गीत लिखने वाले शैलेंद्र के गीतों में हर मनुष्य स्वंय को ऐसे समाहित सा महसूस करता है जैसे वह गीत उसी के लिए लिखा गया हो। अपने गीतों की रचना की प्रेरणा उन्हें मुंबई के जुहू बीच पर सुबह की सैर के दौरान मिलती थी। चाहे जीवन की कोई साधारण सी बात क्यों न हो वह अपने गीतों के जरिए जीवन के सभी पहलुओं को उजागर करते थे। पश्चिमी पंजाब के रावलपिन्डी शहर (अब पाकिस्तान में) 30 अगस्त 1923 को जन्मे शंकर दास केसरीलाल उर्फ शैलेंद्र अपने भाइयों मे सबसे बडे थे। उनके बचपन में ही उनका परिवार रावलपिंडी छोडकर मथुरा चला आया, जहां उनकी माता पार्वती देवी की मौत से उन्हें गहरा सदमा पहुंचा और उनका ईश्वर पर से सदा के लिए विश्वास उठ गया। अपने परिवार की घिसी पिटी परंपरा को निभाते हुए शैलेंद्र ने वर्ष 1947 में अपने करियर की शुरूआत मुंबई में रेलवे की नौकरी से की। आफिस में अपने काम के समय भी वह अपना ज्यादातर समय कविता लिखने मे हीं बिताया करते थे जिसके कारण उनके अधिकारी उनसे नाराज रहते थे। इस बीच शैलेंद्र देश की आजादी की लडाई से जुड गए और अपनी कविता के जरिए वह लोगों मे जागृति पैदा करने लगे। उन दिनों उनकी कविता जलता है पंजाब काफी सुर्खियों में आ गई थी। शैलेंद्र कई समारोह में यह कविता सुनाया करते थे। गीतकार के रूप में शैलेंद्र ने अपना पहला गीत वर्ष 1949 में प्रदर्शित राजकपूर की फिल्म बरसात के  लिये बरसात में तुमसे मिले हम सजन लिखा था। इसके बाद शैलेंद्र-राजकपूर के चहेते गीतकार बन गए। राजकपूर के साथ शैलेंद्र की मुलाकात एक कवि सम्मेलन के दौरान हुई थी। राजकूपर ने शैलेंद्र से अपनी फिल्मों के लिए गीत लिखने की इच्छा जाहिर की किंतु  शैलेंद्र को यह बात रास नही आई और उन्होंने उनकी पेशकश ठुकरा दी। लेकिन बाद मे घर की कुछ जिम्मेदारियों के कारण उन्होंने राजकपूर से दोबारा संपर्क किया और अपनी शर्तों पर ही राजकपूर के साथ काम करना स्वीकार कर लिया। 13 दिसंबर, 1966 को अस्पताल जाने के क्रम में उन्होंने राजकपूर को आर के काटेज में मिलने के लिए बुलाया जहां उन्होंने राजकपूर से उनकी फिल्म मेरा नाम जोकर  के गीत जीना यहां मरना यहां को पूरा करने का वादा किया। लेकिन वह वादा अधूरा ही रहा। अगले ही दिन 14 दिसंबर, 1966 को उनकी मृत्यु हो गई।


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