अपनी मातृभाषा बोलने में कैसी झिझक

By: Sep 13th, 2018 12:05 am

कुल्लू —अपनी मात्र बोलने में भारतीय नागरिक को कभी नहीं झिचक महसूस करनी चाहिए। बल्कि अपनी मात्रा भाषा हिंदी बोलने पर उसे गर्व महसूस करना चाहिए यही नहीं, सभी दफ्तरों में भी काम हिंदी में होना चाहिए। यह कहना है हिंदी दिवस पर कुल्लू के युवाओं का। इस संबंध में जब कुल्लू के लोगों से बात की गई तो उन्होंने हिंदी के विषय में कुछ यूं रखे विचार….

शर्म नहीं गर्व करें हिंदी बोलने पर

संजू ठाकुर का कहना है कि हिंदी भाषा बोलने में कैसी शर्म। कुछ लोग हिंदी बोलना शर्म और अंग्रेजी भाषा बोलना शान समझते है। उनकी पर्सनेल्टी अंग्रेजी बोलने से बढ़ जाती है। जबकि ऐसा नहीं है। उसे मन में जो बहम भाषा को बोलने को लेकर है। उसी के चलते वह अपनी मात्र भाषा को बोलने में दूसरों के आगे कतराते है। अपनी भाषा बोलने पर हमें गर्व महसूस करना चाहिए।

कुछ अपनी भाषा को बोलने से कतराते हैं

तनु कुल्लू का कहना है कि सभी दोस्त हमेशा कालेज में हिंदी में बात करते है और जब कोई अंग्रेजी में बात करता है तो हम भी वैसे ही उससे बात करते है। दुख तब होता है। जब कुछ बच्चे हिंदी में बात करने वाले के साथ भी अंग्रेजी में बात करते है,वह सही नहीं है। हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे देश के पूर्व में रहे प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने भी विदेश में जाकर हिंदी में भाषण दिया था।

अंग्रेजी के चलते हिंदी कमजोर

अभिषेक का कहना है कि विदेशी हो या अन्य देशों के लोग जहां पर अंग्रेजी के अलावा भी अपनी भाषा बोली जाती। वह लोग हमेशा उस भाषा में एक दूसरे बात करते है। लेकिन हम लोग अंग्रेजी बोलने वाले के सामने हिंदी बोलने पर शर्म महसूस करते है। ताकि सामने वाले को न लगे कि उसे अंग्रेजी नहीं आती है। लेकिन ऐसा नहीं है। जो कि लोग अपनी मात्रा भाषा को बोलने से एक दूसेर के सामने ही शर्म महसूस करेंगे वो भी स्थानीय लोग। जहां पर उनकी हिंदी कमजोर हो रही है। अंग्रेजी सिखाने के चलते बच्चों की हिंदी कमजोर हो रही है। जिस और ध्यान देना जरूरी है।

हिंदी ही नहीं हैं पहाड़ी में करनी चाहिए बात

चंदू लाल का कहना है कि हमें हिंदी के साथ साथ अपनी स्थानीय लोकल भाषा भी हमेशा बोलनी चाहिए। क्योंकि जो लोग बाहर नौकरी कर रहे या पढ़ रहे वह हिंदी बोलना भूल जाते है और अंग्रेजी भाषा में ही बात करते है। उन्हें अपनी लोकल भाषा का भी ज्ञान नहीं होता। ऐसे में हिंदी के साथ साथ हम सभी को अपनी कुल्लवी भाषा भी बोलनी चाहिए। जब हमारी मात्र भाषा ही हिंदी है तो हम सभी कार्यालयों में हिंदी में ही काम करना चाहिए।

अपनी भाषा बोलने पर कैसी शर्म

गौरव भारद्वाज का कहना है कि हिंदी बोलने में किसी को कभी शर्म नहीं करनी चाहिए। वर्तमान सरकार भी लोगों को हिंदी बोलने में जागरूक कर रही है। जबकि ऐसा नहीं है, जो अपनी मात्र भाषा बोलने पर भी शर्म करे वह अपने देश से भी कैसे प्यार रख सकेगा। देश के पूर्व में रहे प्रधानमंत्री ने भी विदेश में जाकर हिंदी में भाषण देकर विदेशियों को संबोधित कर हिंदुस्तानियों को गर्व महसूस करवाया था।


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