आईजीएमसी में आउटसाइडर्ज को नो एंट्री

By: Sep 11th, 2018 12:01 am

अस्पताल प्रशासन का फैसला, शाम 6:30 बजे के बाद हर तीमारदार की जांच

 शिमला— शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में आने वाले हर मरीज पर अब प्रशासन की पैनी नजर रहेगी। शनिवार को अस्पताल में अज्ञात व्यक्ति द्वारा नशीली दवाइयों का इंजेक्शन लगाने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। अस्पताल में रात के समय कोई भी नशेड़ी इस संस्थान को अपना अड्डा न बनाए, इसी मकसद से अस्पताल प्रशासन ने यह फैसला लिया है। आईजीएमसी में शाम के वक्त कौन- कौन वार्डों में अपने सोने के लिए बसेरा ढूंढता है, इन सब पर अब नजर रखी जाएगी। अस्पताल में अब केवल उन्हीं लोगों को रहने की अनुमति होगी, जिनके पास अस्पताल में रहने का प्रूफ और वजह होगी। शाम को 6:30 बजे के बाद अस्पताल के सुरक्षा कर्मी वार्डों के बाहर सोने वाले तीमारदारों की पर्चियां चैक करेंगे। अहम यह भी है कि अस्पताल में अगर सुरक्षा कर्मियों के निरीक्षण के दौरान कोई अज्ञात व्यक्ति अस्पताल में देखा गया, तो उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। बता दें कि आईजीएमसी में मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा को लेकर अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं। अस्पताल में आए दिन कोई न कोई घटना मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ घटित होती रहती है। अस्पताल में चोरी की वारदातेें भी आम हो गई हैं। उधर, अब अस्पताल में नशेड़ी अज्ञात लोगों की एंट्री एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। हैरानी की बात है कि अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे भी पूरी तरह से ठीक नहीं है। अस्पताल में लगे कैमरों में अगर किसी की वीडियो को कैप्चर किया भी जाता है, तो वह पूरी तरह से साफ नहीं दिखाई देती। उल्लेखनीय है कि आईजीएमसी के ग्रीन हाउस से लेकर हर वार्ड के बाहर निर्धन लोग अपने बिस्तर के साथ अस्पताल में सोने के लिए आते हैं। अस्पताल में अवैध रूप से रहने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए अस्पताल प्रशासन का यह कदम कितना काम आता है, यह  आने वाला समय ही बताएगा। आईजीएमसी के एमएस डा. जनक राज ने बताया कि अस्पताल में आने जाने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जाएगी। सुरक्षा कर्मी शाम 6:30 बजे के बाद अस्पताल में रहने वाले हर व्यक्ति की पर्ची चैक करेंगे कि किसके पास वे रुके हंै। इस बारे में लिखित में आदेश दिए गए हैं।

बंद हुई रजिस्टर पर एंट्री की प्रथा

आईजीएमसी में इससे पहले भी इस तरह का मामला सामने आया था। मरीजों की सुविधा को लेकर अस्पताल प्रशासन ने यह फैसला लिया था कि अस्पताल के वार्डों के अंदर जो भी लोग अंदर व बाहर जाते हैं, उनका नाम की रजिस्टर पर एंट्री होना चाहिए। हैरानी की बात है कि यह प्रथा अस्पताल में सिर्फ थोड़े समय तक ही चल पाई, इसके बाद यह योजना भी हांफ गई।

 


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