आमतौर पर मकान मिट्टी और स्लेट के होते थे…

By: Sep 16th, 2018 12:05 am

मकानों का निर्माण किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति और जलवायु को ध्यान में रखकर किया जाता है। बढ़ते शहरीकरण के परिणामस्वरूप अब धीरे-धीरे लोग सीमेंट, पत्थर तथा लोहे का प्रयोग घर निर्माण करने में करने लगे हैं। आर्थिक रूप से समृद्ध समझे जाने वाले हिमाचली आज भी छोटे-छोटे घरों में हंसी-खुशी जिंदगी बिता रहे हैं। प्रदेश के अधिकतर परिवार एक या दो कमरों के मकान में रह रहे हैं…

हिमाचल के लोगों का पारिवारिक जीवन संयुक्त है। कई घरों में 40/50 तक की संख्या में परिवार के सदस्य इकट्ठे रहते हैं। पारिवारिक बंधन प्यार और मोह की मंजुषा से जुड़े हैं, परंतु समय के साथ-साथ अब एकल परिवारों की ओर लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है।

मकान : रहने के लिए बनाए गए मकान आम तौर पर मिट्टी के हैं, जिन पर स्लेट पड़े होते हैं या फिर आरसीसी के स्लैबनुमा हैं। पशुशाला घरों से कुछ गज के फासले पर बनाई जाती है। प्रदेश के ऊपरी और मध्य भाग में मकान आम तौर पर लकड़ी के धज्जी दीवाल (लकड़ी का ढांचा तैयार करके बीच में मिट्टी और पत्थर भरना) के बने हैं, जो ऊपर से स्थानीय स्लेटों से या टीन से छाए हुए हैं। ये गर्म रहते हैं। ये अधिकतर दो मंजिले हैं। ऊपर का भाग मनुष्यों के रहने के लिए प्रयोग किया जाता है और नीचे का भाग पशुओं को बांधने के लिए। स्पीति आदि में मैदानों की भांति मिट्टी के कोठे भी बनाए गए हैं। मकानों का निर्माण किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति और जलवायु को ध्यान में रखकर किया जाता है। बढ़ते शहकरण के परिणामस्वरूप अब धीरे-धीरे लोग सीमेंट, पत्थर तथा लोहे का प्रयोग घर निर्माण करने में करने लगे हैं। आर्थिक रूप से समृद्ध समझे जाने वाले हिमाचली आज भी छोटे-छोटे घरों में हंसी-खुशी जिंदगी बिता रहे हैं।

प्रदेश के अधिकतर परिवार एक या दो कमरों के मकान में रह रहे हैं। सांख्यिकी विभाग के मुताबिक वर्ष 2013 तक 1476581 परिवारों में से 1.1 फीसदी ऐसे भी हैं, जिनके पास सिर ढकने को एक कमरा तक नहीं है। आर्थिक रूप से सबसे कमजोर माने जा रहे इस तबके की रातें तंबुओं में कट रही हैं। इनमें से कुछ परिवार ऐसे भी बताए जा रहे हैं, जिनके सदस्यों की संख्या सात या इससे भी अधिक है।

प्रदेश में औसत 28.7 फीसदी परिवारों के पास दो-दो कमरे हैं। दो कमरे वाले सबसे अधिक ऊना जिला के 35.5 फीसदी परिवार तथा सबसे कम 20 फीसदी परिवार सोलन मिला में हैं। राज्य में तीन-तीन कमरे वाले 17.2 फीसदी परिवार हैं।

ऊना जिला में तीन कमरे वाले सबसे अधिक 19.7 फीसदी तथा सबसे कम 12.3 फीसदी परिवार किन्नौर में हैं। चार-चार कमरे वाले प्रदेश में 16.6 फीसदी परिवार हैं। चार कमरे वाले सबसे अधिक 23.5 फीसदी परिवार बिलासपुर तथा सबसे कम 12.3 फीसदी परिवार किन्नौर जिला में हैं। पांच-पांच कमरों वाले प्रदेश में 6.3 फीसदी परिवार हैं। बिलासपुर जिला में सबसे ज्यादा 9.3 फीसदी परिवारों के पास 10.5 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिनके पास छह या इससे अधिक कमरों का मकान है। बिलासपुर में सबसे कम ऊना में 4.2 फीसदी परिवारों के पास छह या इससे अधिक कमरों वाले घर हैं।


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