आस्टियो आर्थराइटिस के लक्षण और उपचार

By: Sep 29th, 2018 12:05 am

आस्टियो अर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करें। यह क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। वैसे एक्सरसाइज  आस्टियो अर्थराइटिस में कई अर्थों में उपयोगी होती है…

बढ़ती उम्र के साथ आस्टियो अर्थराइटिस की समस्या भी बढ़ती जा रही है। इस प्रकार की अर्थराइटिस में जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। इस स्थिति को सहज मेडिकल भाषा में आस्टियो अर्थराइटिस कहते हैं। सामान्यतः मिडल एज यानी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में इस बीमारी के होने की आशंकाएं ज्यादा होती हैं। आइए जानें आस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण, कारण और उपचार का तरीका।

आस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण

जोड़ों में दर्द होना और जोड़ों में तिरछापन आना।

चाल में खराबी और चलने-फिरने की क्षमता का कम होना।

सीढि़यां चढ़ने-उतरने में दिक्कत।

आस्टियो अर्थराइटिस की कराएं जांच

आस्टियो अर्थराइटिस की जांच बहुत आसान है। डाक्टर द्वारा किए गए चैकअप और जोड़ों के डिजिटल एक्स-रे से ही इस रोग का पता चल जाता है कि आपको ये बीमारी है या नहीं। इसके लिए आप अच्छे डाक्टर की सलाह ले सकते हैं।

आस्टियो अर्थराइटिस का इलाज

ऐसी नवीनतम दवाएं उपलब्ध हैं, जो कार्टिलेज को पुनः विकसित करने में सहायक हैं, जिन्हें कार्टिलेज रीजनरेटर कहते हैं।

जोड़ों के अंदर इंजेक्शन लगाते हैं, जिसे विसको सप्लीमेंटे्स कहते हैं। ऐसे इंजेक्शन से जोड़ों के आपरेशन को कुछ वक्त के लिए टाला जा सकता है।

रोग की चरम अवस्था में पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण अत्यंत सुरक्षित और कारगर इलाज है।

आस्टियो अर्थराइटिस बचाव के उपाय

एक्सरसाइज करें

आस्टियो अर्थराइटिस के दर्द को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करें। यह क्षतिग्रस्त जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है। वैसे एक्सरसाइज  आस्टियो अर्थराइटिस में कई अर्थों में उपयोगी होती है। सबसे पहले, यह जोड़ों के आसपास की पेशी का समर्थन मजबूत करती है और जोड़ों में सुधार और जोड़ों की गतिशीलता बनाए रखती है। इसके अलावा एक्सरसाइज वजन कम करने में मदद करने के साथ सहनशीलता को भी बढ़ावा देती है। आस्टियो अर्थराइटिस होने पर तैरना विशेष रूप से अनुकूल होता है क्योंकि यह जोड़ों के लिए कम से कम तनाव प्रभाव का अभ्यास कराता है।

थैरेपी- दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थैरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथैरेपी ऐसी ही एक थैरेपी है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ  मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। यह थैरेपी एक तरीके से शरीर को तरोताजा करने का काम करती है। आस्टियो अर्थराइटिस की समस्या में आप टेंस थैरेपी की मदद ले सकते हैं। इस थैरेपी में ऐसे मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दर्द को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही थरमोथैरेपी की जा सकती है। इसमें क्षतिग्रस्त जोड़ों पर ठंडे या गर्म पैक को रखा जाता है। इससे बहुत आराम मिलता है।

मसाज- मसाज आस्टियो अर्थराइटिस के दर्द में कमी लाने में बहुत फायदेमंद होती है। इससे जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है। नेशनल सेंटर ऑफ  कांप्लेमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (एनसीसीएम) द्वारा समर्थित एक शोध के अनुसार, स्वीडिश मसाज के एक सप्ताह के साठ मिनट सत्र को करवाने से घुटने के कॉनिक आस्टियो आर्थराइटिस के साथ लोगों की परेशानी में महत्त्वपूर्ण कमी पाई गई।

आहार है महत्त्वपूर्ण- भारतीय महिलाओं की खुद के प्रति पोषण की उदासीनता उनकी कई समस्याओं की जड़ है। नियमित पौष्टिक भोजन करके वे कई समस्याओं के साथ आस्टियो अर्थराइटिस को भी दूर रख सकती हैं। आस्टियो अर्थराइटिस से बचाव के लिए आपका आहार ग्लूकोसमीन और कोंड्रायटिन सल्फेट जैसे तत्त्वों से भरपूर होना चाहिए। ये हड्डियों और कार्टिलेज के अच्छे दोस्त होते हैं। अपने खान-पान में ऐसे आहार को शामिल करें, जिससे आस्टियो अर्थराइटिस होने की संभावना कम हो।


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