क्यों कहलाए भगवान शिव पशुपति

By: Sep 1st, 2018 12:05 am

दरअसल नेपाल में एक मंदिर है जिसे पशुपतिनाथ का मंदिर कहा जाता है। इसे शिव की ज्ञान प्राप्ति के स्मारक के रूप में बनाया गया था। वे पशुपत थे, जिसका अर्थ है सभी जानवरों की मिलीजुली अभिव्यक्ति, जो कि आप भी हैं। विकासवाद के आधुनिक सिद्धांत के अनुसार भी आप सभी जानवरों की मिलीजुली अभिव्यक्ति हैं…

भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है और शिवजी के कई अनेक रूप भी हैं। शिवजी को भोलेनाथ, शिवशंकर, महादेव के अलावा पशुपतिनाथ भी कहा जाता है। ये नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने पशुपत से पशुपति होने की यात्रा पूरी की थी। दरअसल नेपाल में एक मंदिर है जिसे पशुपतिनाथ का मंदिर कहा जाता है। इसे शिव की ज्ञान प्राप्ति के स्मारक के रूप में बनाया गया था। वे पशुपत थे, जिसका अर्थ है सभी जानवरों की मिलीजुली अभिव्यक्ति, जो कि आप भी हैं। विकासवाद के आधुनिक सिद्धांत के अनुसार भी आप सभी जानवरों की मिलीजुली अभिव्यक्ति हैं।

विकास के क्रम में इतने अधिक जटिल परिवर्तन हुए हैं कि एक कोशिकीय जीवों से आज हम जैसे इनसान बने बैठे हैं। अगर आप आज भी इस शरीर में गहराई तक अंदर जाकर देखें, तो आप पाएंगे कि जीवन की जो बुनियादी संरचना हमारे भीतर है, ठीक वैसी ही संरचना एक बैक्टीरिया यानी जीवाणु में भी है। अध्ययनों ने ऐसी जबरदस्त बात बताई है, जो बहुत सारे लोगों को हजम नहीं होगी, हालांकि योग में यह बात हमेशा से कही गई है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारे शरीर के वजन का बावन फीसदी हिस्सा जीवाणुओं का है। जीवन की प्रक्रिया सिर्फ आपकी कोशिकाओं से नहीं चलती, जीवन की प्रक्रिया ज्यादातर बैक्टीरिया से चलती है। यह अलग बात है कि उनमें से कुछ आपके खिलाफ  काम करते हैं, लेकिन बाकी सभी बैक्टीरिया आपके पक्ष में काम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि उन्हें आपसे प्यार है, बल्कि बात यह है कि आप उनके लिए एक प्राकृतिक आवास का काम करते हैं। तो आप पशुपत हैं यानी आप इस क्रमिक विकास की प्रक्रिया में मौजूद सभी जानवरों की मिलीजुली अभिव्यक्ति हैं। शिव पशुपत थे। इसके बाद उन्होंने इससे आगे बढ़ने की कोशिश की और फिर वह पशुपति बन गए। वह जानवरों की प्रकृति के स्वामी बन गए। वह जानवरों की स्वाभाविक बाध्यताओं से मुक्त हो गए। अगर आप एक चींटी को ले लें, तो यह बस एक चींटी है, इसके अंदर बस चींटी के ही गुण हैं। अगर आप सांप को लें, तो वह बस एक सांप है। हाथी सिर्फ हाथी है, लेकिन आपमें इन सबके गुण हैं। आप अपने पास बैठे किसी व्यक्ति को चींटी की तरह काट सकते हैं और अगर आपको तेज गुस्सा आ गया, तो आप कुत्ते की तरह भी हो सकते हैं। अगर जहर की बात करें तो आप किसी भी सांप को पीछे छोड़ सकते हैं। आप ये सब बनने में सक्षम हैं। उनमें केवल एक जानवर का गुण है, आपमें उन सबका है। दरअसल आपके सिस्टम में कहीं न कहीं इन सबकी यादें मौजूद होती हैं। अगर आप सचेतन नहीं हैं, तो बड़ी ही आसानी से इन चीजों में फंस जाएंगे। आप पशुपत बन जाएंगे।

आप पशुपत तो हैं, लेकिन अगर आप जागरूक होने की चेष्टा करें, तो आप उस पाशविक स्वभाव से ऊपर उठ सकते हैं, जो आपकी यादों में समाई हुई है और आपको नियंत्रित कर रही है। इस धरती पर आए पहले एक कोशीय प्राणी की याद भी आज आपके भीतर मौजूद है और अगर आप इजाजत दें, तो यह आज भी अपना काम कर सकती है। तो आध्यात्मिक प्रक्रिया ऐसी ही बाध्यताओं से परे जाने का नाम है। जिससे कि आपका अतीत आपको नियंत्रित न करे, आपका अस्तित्व एक पूरी तरह से नई घटना हो। वरना तो आप बस एक मिलीजुली अभिव्यक्ति हैं। संभावना और वास्तविकता के बीच एक दूरी है। अगर हम उस दूरी को अभी तक पार नहीं कर पाए हैं, तो हम एक जानवर की तरह ही हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App