जय कन्हैया लाल की जय से गूंजायमान हो उठा दाड़लाघाट

By: Sep 20th, 2018 12:05 am

दाड़लाघाट—ग्राम पंचायत दाड़लाघाट स्थित शिव मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाया गया। जय कन्हैया लाल की जय से गूंजायमान हो उठा। विभिन्न गांवों से पहुंचे श्रद्धालु भाव विभार हो कर नाचने लगे। आचार्य प्रकाश चेतन्य जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वणज़्न करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे ना करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दें। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। आचार्य ने कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उदघोष के साथ नृत्य करने लगे। आचार्य प्रकाश चेतन्य जी महाराज ने श्रीकृष्ण अवतार की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण का अवतार तब होगा जब आप सत्य निवेशी बनेंगे। अर्थात आपको सत्य की साधना करनी पड़ेगी। मां देवकी ने सत्य की साधना की। सत्य की साधना कष्टदायी हो सकती है, लेकिन इसके फल के रूप में हमें श्रीकृष्ण ही प्राप्त होंगे। वह हमारे जीवन को आनंद से भर देंगे।भगवान कृष्ण सभी समस्याओं का समाधान हैं। उनके मार्गदर्शन में जीवन अगर चलने लगा तो जीवन का हर मार्ग आनंद से भर जाएगा। प्रभु कृष्ण भक्तों के प्रार्थना रूपी निर्मल झील में प्रतिदिन स्नान करते हैं। आचार्य प्रकाश चेतन्य जी महाराज ने प्रार्थना की विधि बताते हुए कहा कि प्रार्थना में भाषा की प्रधानता नहीं होती है। प्रार्थना तो भाषा शून्य होती है, लेकिन इसके लिए भाव जरूरी है।कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जब तक हमारा जीवन राम की तरह नही रहेगा तब तक श्री कृष्ण कथा हमे समझ नही आयेगी। आचार्य ने कहा कि भागवत कथा एक एैसी कथा है जिसे सुनने ग्रहण करने से मन को शांति मिलती है अपने शरीर में भरी मैल को साफ करने के लिए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान है इसमें अपने अंदर का मैं, अहंकार खत्म करना चाहिए। व्यास ने कहा कि मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हमारे अंदर बैठा अहंकार है श्रीमद् भावगत कथा अपने मन में बैठा ऽमैंऽऔर अहंकार को खत्म करने का उचित दर्शन है। इस मौके पर आचार्य प्रकाश चेतन्य महाराज ने भजन गाकर संगत को निहाल किया।प्रभु आरती कर कथा को विराम दिया गया व भंडारे का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। बाबा जयदेव गिरी ने बताया कि भागवत से सारा क्षेत्र भक्तिमय में हो गया है। इस आयोजन में स्थानीय लोग बाद चढ़कर भाग ले रहे है।


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