जल-जंगल-जमीन बचाएंगे कर्मचारी

By: Sep 4th, 2018 12:15 am

शिमला —मिड हिमालयन प्रोजेक्ट के कर्मचारियों के भविष्य पर लटकी तलवार टल गई है। सरकार ने इन कर्मचारियों को अन्य प्रोजेक्टों समायोजित करना शुरू कर दिया है। इसमें लगे करीब 300 कर्मचारियों को विभाग के अन्य प्रोजेक्टों में एडजस्ट कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट में कार्यरत 400 में से 150 कर्मचारियों को जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी (जायका) के प्रोजेक्ट में एडजस्ट किया गया है। जाइका की वित्तीय मदद से महत्त्वाकांक्षी फोरेस्ट इकोसिस्टम्स मैनेजमेंट एवं आजीविका सुधार प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। करीब 650 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को छह जिलों, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला किन्नौर और लाहुल-स्पीति जिला में लागू किया गया है। इसके तहत जंगलों को सघन बनाने के साथ जल के परंपरागत स्रोतों को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं, बाकी 150 कर्मचारियों को 700 करोड़ के वनों की समृद्धि योजना (एफपीपी यानी फोरेस्ट फॉर प्रोसपेरिटी प्रोजेक्ट) में लिया गया है। विश्व बैंक की मदद से शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट के तहत संस्थागत सुदृढ़ीकरण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में सुधार, वृक्ष कवर के तहत क्षेत्र में वृद्धि के साथ-साथ लोगों की आजीविका की जरूरतों को पूरा करने जैसे काम किए जाने हैं। इसके तहत गैर-टिंबर वन उत्पादन और इनके संग्रह पर जोर दिया जाएगा। वहीं, मिड हिमालयन के बाकी करीब 100 कर्मचारी अभी प्रोजेक्ट में ही काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट का कुछ काम चला हुआ है और उसे जल्द पूरा किया जा रहा है। ऐसे में फिलहाल यह कर्मचारी इसमें ही काम करते रहेंगे।

विश्व बैंक ने मंजूर किया था प्रोजेक्ट

प्रदेश में मिड हिमालयन प्रोजेक्ट को विश्व बैंक ने साल 2005 में मंजूर किया था। शुरुआती दौर में इस प्रोजेक्ट को 602 पंचायतों में चलाया गया था, लेकिन बाद में इसमें 108 और पंचायतों को शामिल किया गया। इस तरह इस प्रोजेक्ट को 710 पंचायतों में चलाया गया और इसके लिए दो चरणों में बजट भी जारी किया। इसके तहत पहले साल 2005 में 356 करोड़ जारी किए और प्रोजेक्ट को 2013 तक लागू किया गया। इसके बाद साल 2013  में विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट को 2017 तक बढ़ाते हुए 235 करोड़ रुपए फिर से मंजूर किए थे। हालांकि सरकार मिड हिमालयन प्रोजेक्ट के दूसरे चरण को लागू करने की तैयारी में थी, लेकिन इसको लेकर विश्व बैंक ने असमर्थता जताई है। ऐसे में इसमें काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य पर तलवार लटक रही थी, जो कि सरकार के फैसले के बाद टल गई है।


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