पढ़ाई के बाद नौकरी के झूठे दिलासे ले रहे जान

By: Sep 27th, 2018 12:05 am

बेरोजगारी…ऐसा दौर जिससे कोई गुजरना नहीं चाहता। और जो गुजरता है, वह छटपटाता है। तड़पता है। इसी छटपटाहट में कई बार ऐसे कदम उठा लेता है, जो आत्मघाती होते हैं। मंडी के पढे़-लिखे युवाओं ने मौत को इसी बेरोजगारी के जंजाल से बाहर न निकल पाने के कारण गले लगा लिया। पर क्या इस झंझावात से बाहर निकलने के लिए जिंदगी हारना जरूरी है? क्या कुंठा और हताशा के लिए ही युवा पीढ़ी ज्यादा पढ़-लिख रही है? क्या हमारी पढ़ाई पर निराशा हावी हो रही है? या क्या यह आने वाले कल की दस्तक है कि सही समय पर सरकारें जाग जाएं नहीं तो देश का भविष्य इसी तरह बेरोजगारी की चक्की में न पिसता रहे।  इसी मुद्दे पर युवाओं की बात सामने ला रहा है प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’……                            सुंदरनगर से जसवीर सिंह की रपट

सपने पूरे न होने पर हावी हो रहा तनाव

राजकीय बहुतकनीकी कालेज सुंदरनगर तृतीय सेमेटर में अध्ययनरत विक्रांत ठाकुर का कहना है कि कालेज में जाने के बाद युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारी का एहसास होने लगता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद सपने पूरे नहीं होते तो तनाव में फिर युवा ऐसे कदम उठा रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।

युवाओं में सहनशीलता की कमी

रक्षित कश्यप का कहना है कि डिप्रेशन मंे आकर युवा आत्महत्या करने जैसे कदम उठाने को विवश हंै। आजकल के युवाओं मंे सहनशीलता की कमी है, जिसके कारण वह स्वयं इस तरह के कदम उठाने के लिए विवश हो रहे हैं। युवाओं ने पढ़ाई करते वक्त कई तरह के सपने मन में पाल रखे होते हैं, जिसके पूरा न होने पर हताशा होती है।

बढ़ती बेरोजगारी पर गंभीर हो सरकार

सुंदरनगर के कमलकांत शर्मा का कहना है कि कालेजों में वर्तमान सिस्टम के हिसाब से पढ़ाई नहीं करवाई जाती है, जिससे उन्हें मार्केट के हिसाब से जॉब मिल  सके और इसी वजह से युवा बेरोजगार हो रहे हैं। आत्महत्या करना सही नहीं है, लेकिन सरकार को भी इस बारे में सोचना चाहिए।

नशे की लत से आपा खो रहे युवा

रिवालसर के जितेंद्र कुमार का कहना है कि आजकल का युवा तनाव में है और नशे की लत में पड़ने से स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है, जिससे वह अपना आपा खोकर आत्महत्या करने को विवश हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं पर पढ़ाई का दबाव भी अधिक होने से वह डिप्रेशन में रह रहे हंै और यह गलत कदम उठा रहे हैं।

बेरोजगारी से विवश होकर उठा रहे कदम

डैहर के कमलेश कुमार का कहना है कि नशे ने युवाओं को खोखला बना दिया है। ऊपर से बेरोजगारी से तंग आकर युवा हताश होकर रह गया है। सरकार भी इस ओर कोई कदम नहीं उठा रही है। विवश होकर युवा आत्मविश्वास खो रहे हंै और आत्महत्या कर रहे हैं।

शर्म में चुप ही रहती हैं युवतियां

बग्गी के रोहित राणा का कहना है कि युवाओं को कालेज में प्लेसमेंट के नाम पर झूठे दिलासे दिए जाते हैं। जब युवा पढ़ाई पूरी कर लेता है तो उसे आगे नौकरी नहीं मिल रही है, जिसके कारण वह स्वयं का नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।


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