पनारसा के लोग खुद तोड़ रहे अपने घर

By: Sep 3rd, 2018 12:05 am

 पनारसा —पनारसा में कीरतपुर-मनाली फोरलेन की भेंट चढ़ रहे आशियानों ग्रामीणों ने अपने ही हाथों तोड़ना शुरू कर दिया है। अपने पुश्तैनी घरोंदे  तोड़ते समय इनकी आंखें भी नम हो रही हैं। न चाहते हुए भी उन्हें विस्थापन की मार झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों गगन कुमार, राकेश कुमार, ज्ञान चंद, विजय कुमार, कमलेश कुमार, कीरत राम, सरोज पुरी, प्रीतम वर्मा व पवन हांडा आदि ने बताया कि फोरलेन से दशकों पुराना पनारसा बाजार इतिहास के पन्नों में सिमटने जा रहा है। उन्होंने बताया कि विकास के लिए यहां के ग्रामीण हमेशा आगे रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि पनारसा का विस्थापन दूसरी बार होने जा रहा है। पहले राष्ट्रीय उच्च मार्ग 21 के लिए उनके बुजुर्गों ने  विस्थापन का दंश झेला और अब यह दूसरी बार यह बाजार विस्थापित होने जा रहा है। एनएचएआई द्वारा जारी नोटिस के अनुसार अब मार्केट उजड़ने में कुछ ही समय बचा है। उन्होंने  बताया कि फोरलेन सड़क प्रोजेक्ट के सामरिक महत्त्व को समझते हुए ग्रामीणों ने कभी इसका विरोध नहीं किया, परंतु उनका दुर्भाग्य है कि अपने संवैधानिक अधिकारों को पाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। तीन साल से संघर्ष करने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। फोरलेन विस्थापन की वजह से  बेरोजगारी की समस्या विकराल बन चुकी है। इससे हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। किराए पर दुकानें लेकर अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने वाले दुकानदारों का कहना है कि रहने को तो उन्हें टेंट मिलेंगे, परंतु अपने परिवार का पालन पोषण तथा अन्य खर्चे कहां से करेंगे। बच्चों की पढ़ाई, दवाई तथा रोजमर्रा की जरूरतें कहां से पूरी होंगी। लोगों का कहना है कि इतिहास में शायद ऐसा पहली बार होगा कि बिना मुआवजा दिए ही दुकानदारों को अपनी दुकानें व कारोबार छोड़ना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एनएचएआई, प्रशाशन तथा सरकार से आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिला है।

 


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