फांसी से बड़ी सजा होती, तो युग के हत्यारों को वही मिलनी चाहिए थी

By: Sep 6th, 2018 12:05 am

शिमला के राम बाजार की गलियों में खेलने वाले चार साल के युग की निर्मम हत्या ने शहर के हर एक शख्स को झकझोर कर रखा दिया था। पैसों के लालच में अपने ही पहचान वालों की हैवानियत का शिकार बने युग को मिले न्याय के साथ ही इस जघन्य अपराध की काली यादें सभी के जहन में ताजा हो गई हैं। राम बाजार के कारोबारी विनोद गुप्ता के परिवार का आंखों का तारा युग कभी वापस तो नहीं आ सकता, लेकिन खून के आंसू रोने वाले उसके माता-पिता शायद आज चैन की नींद सो सकेेंगे। चार साल के बाद मासूम युग को मिले इनसाफ पर ‘दिव्य हिमाचल’ ने शहर की दूसरी माताओं से उनकी प्रतिक्रिया ली और जाना कि बतौर मां वे आरोपियों को सुनाई गई फांसी की सजा को किसा नजरिए से देखती हैं…

मौत से भी बड़ी सजा मांगती

महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि उनकी एक बेटी है, ऐसे में युग की मां का दर्द वह समझ सकती हैं। बतौर माँ महापौर ने कहा कि मौत से बड़ी अगर कोई सजा होती तो वह युग के हत्यारों के लिए मांगतीं। कोर्ट का फैसला सही है।

आज भी छलकती हैं आंखें

पार्षद किरण बावा ने कहा कि बतौर माँ युग की हत्या का दर्द आज भी आंखों में आंसू ले आता हैं। जिस बेरहमी से आरोपियों ने मासूम युग को यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा, उस लिहाज से आरोपियों को मौत की सजा मिलनी ही चाहिए थी।

चंद पैसों के लिए ली जान

समाज सेविका सुविधा देवी ने कहा कि शिमला के इतिहास में यह जघन्य अपराध है। इसमें चार साल के मासूम बच्चे को पैसे के लालच में उसके ही पहचान वालों को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया। तीनों को मौत की सजा देकर अदालत ने एक उदाहरण पेश किया है।

कोर्ट का फैसला सही

तनुजा थापटा ने कहा कि अदालत का फैसला संतोषजनक है। बेशक इस निर्णय में चार साल का समय लग गया हो, लेकिन दोषियों को उनके किए की सही सजा मिली हैं। उन्होंने कहा कि युग जैसे मामलों में जल्द फैसले का प्रावधान होना चाहिए।

मौत की सजा भी कम है

रीता सेक्टू ने कहा कि तीनों आरोपियों के लिए मौत की सजा भी कम हैं। उन्होंने कहा कि चार साल बाद मासूम युग के हत्यारों को उनके किए की सजा मिली है। इससे अन्य अपराधियों को सबब मिलेगा और कोई भी इस तरह  को घिनौना काम  करने से डरेगा।

शिमला के माथे पर कलंक

अंकिता वर्मा ने कहा कि शिमला जैसे शांत सुरक्षित शहर में  युग हत्याकांड किसी कलंक से कम नहीं है। बतौर माँ वह युग की माँ का दर्द समझ सकती है, जिसके बेटे का पैसों के लिए दर्दनाक मौत दी गई।  आरोपियों  को मौत की सजा से युग के माता-पिता को राहत मिली होगी।


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