बिलासपुर के 9 सपूत थे कारगिल में शहीद होने वाले

By: Sep 23rd, 2018 12:05 am

कारगिल में देश के लिए बलिदान देने वाले हिमाचल के 54 में से नौ अकेले इस जिले के सपूत थे। आधुनिक भारत के निर्माण का पहला सोपान भाखड़ा बांध देश के विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों की विषय-वस्तु बन गया। यह बिलासपुर जिला की कुर्बानी की बुनियाद पर तैयार हुआ…

बीसवीं शताब्दी में हिमाचल प्रदेश की कई रियासतों में जनआंदोलन पनपे, जिसका प्रमुख कारण प्रदेश के नवयुवकों का रियासतों से बाहर जाना, उदारवादी लोकतंत्र की विचारधारा का प्रचार व प्रसार, शिक्षा से जागृति एवं कुछ समाजसेवी अंग्रेजों द्वारा लोगों के मन में स्वतंत्रता, न्याय, समानता एवं लोकतांत्रिक भावना का जगाना भी प्रमुख कारण था। आबादी और क्षेत्रफल में अपेक्षाकृत हिमाचल का छोटा जिला होने के बावजूद बिलासपुर ने न केवल हिमाचल प्रदेश में वरन भारत जैसे विशाल देश के रिकार्ड में स्वयं को स्थापित करने में सफलता अर्जित की है। अतीत में विक्टोरिया क्रास वीर भंडारी राम और फिर कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र हासिल करके संजय कुमार ने देश की रक्षा पंक्ति में इस जिले की वीरता और साहस की कहानी लिख दी है। कारगिल में देश के लिए बलिदान देने वाले हिमाचल के 54 में से नौ अकेले इस जिले के सपूत थे।

आधुनिक भारत के निर्माण का पहला सोपान भाखड़ा बांध देश के विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों की विषय-वस्तु बन गया। यह बिलासपुर जिला की कुर्बानी की बुनियाद पर तैयार हुआ। कम से कम पांच राज्यों की खुशहाली के प्रतीक इस विकास मंदिर के निर्माण के लिए यहां के किसानों ने अपने खून से सींचे लहलहाते खेत होम कर दिए। इसी कड़ी में एक और महत्त्वाकांक्षी कोल डैम प्रोजेक्ट का निर्माण बिलासपुर की सीमा पर हुआ है। हिमाचल की विकास गाथा में भी बिलासपुर ने स्वयं को दर्ज करवाया है। राज्य के चार में से दो राष्ट्रीय मार्ग इस जिला से गुजरते हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा अलीखड्ड पुल और ऊंचा कंदरौर पुल इस जिला के जनजीवन का रोज का हिस्सा बन चुके हैं। प्रकृति ने इसे सतलुज की सौगात और अन्य प्रसवा धरा दान दी है।

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिद्वंद्वियों के दांत खट्टे कर देने वाले कई खिलाड़ी देने का गौरव भी इस जिला को प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में बिलासपुर का दखल अनंतराम के साथ शुरू हुआ। उन्होंने जिम्नास्टिक में सातवें दशक में दो बार ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। सदी के अंतिम दशक में जिला ने खेल क्षेत्रों में कई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। सुश्री कमलेश ठाकुर ने एथलेटिक्स में दिल्ली में आयोजित नेहरू शताब्दी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत के लिए रजत पदक जीता था। अजनेश चौहान जिला से किसी भी खेल में सबसे अधिक बार भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने वर्ष 1991 से लेकर 2002 तक 11 बार भारत की अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल प्रतियोगिताओं में चुनाइंदगी की है। इसी खेल में हमीद खान ने पांच बार भारत की जूनियर व सीनियर टीमों  का एक गोलकीपर के रूप में प्रतिनिधित्व किया। हैंडबाल के ही प्रवेश शर्मा 1992 में भारतीय संस्कृति विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र तथा प्रथम खिलाड़ी बने।


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