भीमा काेरेगांव:एसआईटी जांच संबंधी याचिका खारिज

By: Sep 28th, 2018 12:41 pm
भीमा काेरेगांव:एसआईटी जांच संबंधी याचिका खारिज

नयी दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव से संबद्ध मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी प्रकरण की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने 2:1 का बहुमत का फैसला सुनाते हुए इतिहासकार रोमिला थापर, देवकी जैन, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और माजा दारुवाला की संयुक्त याचिका ठुकरा दी। न्यायमूर्ति खानविलकर ने खुद की तथा मुख्य न्यायाधीश की ओर से यह फैसला सुनाया, जबकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने असहमति का फैसला पढ़ा। न्यायमूर्ति खानविलकर ने अपने फैसले में कहा कि पांचों आरोपियों -सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवरा राव, वी गोंजाल्विस और अरुण फेरेरा- की गिरफ्तारी का मामला राजनीति विद्वेष से कतई जुड़ा नहीं है। उन्होंने आरोपियों की बजाय इष्ट मित्रों की ओर से याचिका दायर किये जाने पर भी सवाल उठाये और कहा कि गिरफ्तार आरोपियों ने एसआईटी जांच के लिए दरवाजा नहीं खटखटाया।  न्यायमूर्ति खानविलकर ने यह भी कहा कि आरोपी व्यक्ति यह चयन नहीं कर सकता कि मामले की जांच फलां एजेंसी करे, फलां नहीं। उन्होंने, हालांकि आरोपियों को फिलहाल चार हफ्ते और नजरबंद रखने का निर्देश देते हुए कहा कि इस बीच ये आरोपी अपनी जमानत के लिए उपयुक्त अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस को संबंधित मामले में आगे की जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया।  न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने असहमति का अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी बगैर किसी आधार के हुई है। महाराष्ट्र पुलिस का रवैया पक्षपातपूर्ण है और उसकी जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में एसआईटी से कराना अनिवार्य है। गौरतलब है कि 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एलगार परिषद की बैठक के बाद पुणे के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की घटना की जांच के सिलसिले में बीते 28 अगस्त को पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर उपरोक्त पांचों आरोपियों को गिरफ़्तार किया था, लेकिन इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

 


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