मरकर फिर जिंदा हुआ नड़

By: Sep 5th, 2018 12:10 am

दुआड़ा काहिका में 35 सालों के बाद निभाई देव परंपरा, देव शक्तियों के हजारों लोग बने गवाह

पतलीकूहल — कुल्लू घाटी में कई स्थानों में होने वाले काहिका उत्सव में देव मिलन के साथ जहां देवी-देवता एक नड़ जाति के पुरुष को चारों दिशाओं में तीर छोड़कर मुर्छित करते हैं तो उसके बाद मरणोपरांत होने वाली सारी प्रक्रिया को काहिका कहा जाता है। उस व्यक्ति के शरीर पर कफन डालकर फिर देव प्रक्रिया शुरू होती है और उसे पुनः जीवित किया जाता है। इसी देव प्रक्रिया को देखने के लिए गांव दुआड़ा के विष्णु मंदिर में पिछले तीन दिनों से जारी काहिका को लेकर हजारों की संख्या में लोगों ने शिरकत की और देवी शक्ति की अनूठी प्रक्रिया को देखने के लिए कुल्लू जिला के कई क्षेत्रों से लोगों ने उपस्थिति दी। सोमवार को काहिका के अंतिम दिन सोयल गांव के रामनाथ जो कि नड़ जाति से ताल्लुक रखता है अपने परिवार के साथ गांव दुआड़ा में होने वाले काहिका में शामिल हुआ। इस कार्य में क्षेत्र के करीब 15 देवी-देवताओं ने शिरकत की और 35 वर्षों के बाद होने वाले इस उत्सव में देव प्रक्रिया को निभाकर लोगों को काहिका कि वह सारी तैयारी की जिसमें एक व्यक्ति को देव शक्ति से मार दिया जाता है और फिर उसे जिंदा करने की प्रक्रिया आरंभ होती है। देव शक्ति से पुनःजीवित होने वाले नड़ की पत्नी का श्रृंगार किया जाता है और परिवार हंसी खुशी इस देव प्रक्रिया को सफल होने पर अपने आप को धन्य पाता है।  यही कारण है कि देव शक्ति में आस्था रखने वाले भक्त देवी शक्ति के रूप को काहिका उत्सव के दौरान पाते हैं। गांव दुआड़ा में हुए इस काहिका उत्सव में लोगों की आस्था की जीत होती है जब 35 वर्षों के बाद देवता विष्णु के प्रांगण में इस उत्सव का आयोजन होता है  यहां आने वाले हर शख्स को देव भोग स्टील की थाली में परोसा गया और पानी को पीने के स्टील गिलास का प्रयोग हुआ। विष्णु देवता कमेटी के अध्यक्ष प्यारे चंद ने बताया कि यह पहला अवसर है। इस काहिका में जहां क्षेत्र के देवी-देवताओं की शिरकत से उत्सव सफल रहा वहीं पर सफाई का विशेष ध्यान रखा गया


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