शपथ

By: Sep 23rd, 2018 12:05 am

(लगभग 14-15 वर्षीय दो छात्र  (कोचिंग के लिए जा रहे हैं) बंटी-मानू यार, बड़ा टेंशन हो रहा है।

मोनू- क्यों? क्या हुआ?

बंटी- शर्मा सर ने जो लाइट एंड साउंड पर चैप्टर की एक्सरसाइज करके लाने के लिए कहा था, यार, आधे प्रश्न भी नहीं हो पाए। मोनू-यार, मेरे भी प्रश्न छूट गए हैं। लगता है आज जम के डांट पड़ेगी।

बंटी-अरे नहीं यार, सर ने कहा था कि एक्सरसाइज पूरी करने की कोशिश करना, जो प्रश्न नहीं आएंगे वे उन्हें खुद समझा देंगे।

मोनू-सच में। यह कब कहा था उन्होंने?

बंटी-कहा था यार, तुम तब शायद पिंकी से बात कर रहे थे। मोनू-अच्छा … तक तो ठीक है यार, नहीं तो लग रहा था आज जबरदस्त खिंचाई हो जाएगी। बंटी- प्रश्न के लिए तो नहीं, लेकिन लेट पहुंचने पर जरूर डांट पड़ेगी, जरा तेज चलो।

मोनू- हां यार, चलो… बस दस मिनट रह गए हैं बैच शुरू होने में ।

(दोनों तेजी से मंच से निकल जाते हैं)

दूसरा दृश्य

15-20 लोग, कोई मोबाइल पर व्यस्त हैं, कोई बात कर रहा है , तो कोई व्हाटसेप, एफबी से चैंटिंग में व्यस्त है। तभी दो लोग विपरित दिशाओं से हुर्र-हुर्र  करके मंच पर इस प्रकार आते हैं जैसे बाइक पर सवार हों… मंच पर दो-दो चक्कर लगाने के बाद दोनों आपस में टकरा जाते हैं- जैसे दो बाइक आपस में भिड़ गई हों। दोनों मंच पर गिरकर तड़पने लगते हैं- आह आह मर गया की आवाजें निकालते हैं, और बेहोश हो जाते हैं। उन्हें कोई उठाता नहीं सब उनकी मूवी बनाते हैं।  तभी मंच पर बंटी और मोनू का प्रवेश।

बंटी अरे यार मोनू लगता है शायद किसी का एक्सीडेंट हो गया है?

मोनू- हां लगता तो है, लेकिन चल जल्दी… बैच शुरू होने वाला है, एक्सीडेंट तो रोज होते ही रहते हैं। ट्रैफिक ही इतना हो गया है कि बस  पूछो मत… चल तू जल्दी।

बंटी-अरे कैसी बात कर रहा है तू… यहां हमारी किसी को जरूरत है और तुझे बैच की पड़ी है।

मोनू- जरूरत…अरे…. पागल तो नहीं हो गया तू…तमाम लोग हैं यहां, कोई न कोई अस्पताल पहुंचा देगा इन्हें। हमें चलना चाहिए।

बंटी- कोई न कोई…अरे वह कोई हम क्यों नहीं हो सकते..तुझे जाना है तु जा। बंटी लोगों को समझाता है फिर वे लोग भी बंटी की उन दो लड़कों को अस्पताल पहुंचाने में सहायता करते हैं।

तीसरा दृश्य

शर्मा सर- कल बंटी ने जो काम किया है, उससे हम सबको उस पर गर्व होना चाहिए। हम कितना भी पढ़-लिख जाएं, अगर हमने इंसानियत का पाठ नहीं पढ़ा तो हमारी सारी पढ़ाई-लिखाई बेकार है। कल अगर आगे बढ़कर बंटी लोगों को जागरूक नहीं करता और उन घायल लोगों की सहायता नहीं करता तो निश्चित रूप से उनका बचना संभव नहीं था। वे दोनों बंटी की वजह से समय से अस्पताल पहुंच गए और इलाज हो सका, जिसकी वजह से वे खतरे से बाहर निकल सके।

मोनू खड़े होते हुए।

मोनू-(सर झुकाकर) सर, मुझे अपने ऊपर बहुत ग्लानि हो रही है।

कि बंटी के इतना कहने पर भी मैं वहां से चला आया और उन लोगों की सहायता नहीं की।

शर्मा सर- अधिकाशं लोगा तुम्हारी तरह ही समय और काम का बहाना बनाकर खिसक लेते हैं। कोई बेकार के झंझट में फंसना नहीं चाहता, लेकिन किसी की जान से बढ़कर क्या काम हो सकता है भला? अगर कल चैप्टर के कुछ प्रश्न छूट भी जाते तो कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन वहीं अगर वे लोग लड़फ कर मर जाते तो उनके परिवार उजड़ जाते।

और उन परिवारों की जिंदगियां तबाह हो जातीं।

मैंने अखबार में पड़ा कि उनमें से एक तो अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला लड़का था…घर के दो लोग उसके ऊपर निर्भर थे…।

तो सभी उठो, और आज से कसम खाओ कि कभी भी इस प्रकार हालात होने पर जरूरतमंद लोगों की किसी भी प्रकार की सहायता से मुंह नहीं मोड़ोगे।

सभी- जी सर।

(बंटी अपना दाहिना हाथ आगे निकाल कर शपथ लेता है और कक्षा के सभी विद्यार्थी थी दाहिना हाथ आगे बढ़ाकर शपथ दोहराते हैं।)

जरूरतमंद को देखकर हम अपना मुंह नहीं मोड़ेंगे…उसकी हर

संभव सहायता करेंगे और मरते दम तक इनसानियत के मार्ग पर चलेंगे आमीन।

 


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