शरणार्थियों को लौटना होगा अपने देश

By: Sep 17th, 2018 12:10 am

स्वीडन में बोले दलाईलामा, यूरोप पर पहला हक यूरोपियंस का

मालमो – स्वीडन दौर के दौरान में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने यूरोप में रह रहे शरणार्थियों को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। तिब्बत से आकर भारत में शरण लेने वाले दलाई लामा ने दो टूक अंदाज में एक इंटरव्यू में कहा कि यूरोप यूरोपियन के लिए है और शरणार्थियों को एक दिन यहां से लौटना ही होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय देशों की इन शरणार्थियों के प्रति नैतिक जिम्मेदारी बनती है। स्वीडन के तीसरे बड़े शहर मालमो में बौद्ध धर्मगुरु ने यह इंटरव्यू दिया है। बता दें कि मालमो स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मुल्कों के प्रवासियों ने शरण ले रखी है। स्वीडन में इस बार के चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा था। स्वीडन के आम चुनावों में स्वीडन डैमोक्रेटिक पार्टी जो प्रवासियों के लिए उदार रुख रखती है, सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि, प्रवासियों का जमकर विरोध करने वाली धुर दक्षिणपंथी पार्टी ने भी मजबूती हासिल की और तीसरे स्थान पर रही। दलाई लामा ने कहा कि सभी यूरोपीय देशों की जिम्मेदारी है कि वे अपने यहां आए शरणार्थियों की मदद करें। अपने देश में जान और सुरक्षा के खतरे से जूझ रहे लोगों को शरण देना, शिक्षा देना और बेहतर नागरिक बनाना सबकी जिम्मेदारी है। हालांकि, शरणार्थियों को भी समझना चाहिए कि उन्हें एक दिन अपने देश लौटना होगा। प्रवासियों को यह स्वीकार करना ही होगा कि उन्हें वापस अपने देश जाकर उसे फिर से बसाना है। 1959 से भारत में शरण लेकर रह रहे तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए कि यूरोप पर पहला अधिकार यहां के नागरिकों का है। जर्मनी, पहले जर्मन लोगों के लिए ही है और उसे कोई अरब मुल्क नहीं बना सकते। बता दें कि 2016 में भी उन्होंने यूरोप में रह रहे प्रवासियों के लिए कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया दी थी। उधर, तिब्बती सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा ने बौद्ध प्रचारकों द्वारा किए गए यौन शोषण के मामले पर बड़ा बयान दिया है कि 90 के दशक से बौद्ध शिक्षकों द्वारा यौन शोषण किया जाता आ रहा है। ऐसे आरोप कोई नए नहीं है। उन्हें इस बात की जानकारी 25 साल से है। दलाई लामा ने कहा कि जो लोग यौन शोषण करते हैं, वे बुद्ध की शिक्षा की परवाह नहीं करते हैं। हालांकि, जो भी सार्वजनिक हो रहा है, वह उनके लिए शर्मिंदगी की बात है। बता दें कि बौद्ध प्रचारकों द्वारा पीडि़तों ने याचिका दायर कर दलाई लामा से उनकी यूरोप यात्रा के दौरान मिलने की अपील की थी।


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