सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी

By: Sep 14th, 2018 12:04 am

नेशनल और स्टेट हाई-वे किनारे यात्रियों को सुविधाएं न मिलने पर हाई कोर्ट की नकारात्मक टिप्पणी

शिमला— प्रदेश भर के नेशनल और स्टेट हाई-वे पर यात्रियों के लिए मूलभुत सुविधाएं उपलब्ध न करवाए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर खुली अदालत में नकारात्मक टिप्पणी दर्ज की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मूलभूत सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए का बजट राज्य सरकार को दिया जाता है, लेकिन राज्य सरकार इस बजट को खर्च नहीं कर पाती और यह बजट लैप्स हो जाता है। कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि मुख्य सचिव के पिछले शपथपत्र में बताया गया था कि प्रदेश में सडक़ किनारे शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है, जबकि वह निर्माण कार्य सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। अदालत को बताया गया कि इस बारे में मुख्य सचिव ने परिवहन, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास विभाग और सभी डीसी के साथ 18 मार्च, 2017 को मीटिंग की और इस समस्या के बारे में विचार-विमर्श किया। अपने पिछले आदेशों के तहत अदालत ने अफसोस जताते हुए कहा था कि प्रदेश भर में रोजाना 500 बसों की आवाजाही होती है और हाई-वे पर यात्रियों के लिए किसी भी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई है। यात्री खासकर महिलाएं और बच्चे, जो कि बसों में सफर करते हैं, उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अदालत ने स्पष्ट किया था कि जीने के अधिकार के चलते सभी नागरिकों को हाई-वे पर यात्रा के दौरान सभी सुविधाएं पाने का अधिकार है। अदालत ने खेद जताते हुए एचआरटीसी प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यात्रियों को हाई-वे पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव में विशेष कर महिलाओं और बच्चों को भारी परेशानी होती है। बसें जहां खाना खाने के लिए रुकती हैं, वहां न तो शौचालय होते हैं और न ही खाने-पीने का उचित प्रबंध। मामले की आगामी सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित की गई है।

पीलिया से सभी बाकिफ हैं

अदालत ने कहा कि इससे आंखें नहीं मूंद सकते कि वर्ष 2016 में शिमला, सोलन और सिरमौर में पीलिया से15 हजार लोग चपेट में आ गए थे। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि शपथपत्र के माध्यम से बताएं कि हाई-वे किनारे यात्रियों के लिए क्या सुविधाएं दी जा रही हैं।

दस मिलियन शौचालय बनाए

वर्ष 2006 से 11 तक देश में दस मिलियन शौचालय बनाए गए, लेकिन इनका प्रयोग सिर्फ स्टोररूम के तौर पर किया जा रहा है। कोर्ट को बताया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हिमाचल को वल्र्ड बैंक से नौ हजार करोड़ मंजूर हुए हैं।

 


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