सृजनात्मकता का धर्म

By: Sep 29th, 2018 12:05 am

ओशो

एक महान सम्राट अपने घोड़े पर बैठ कर हर दिन सुबह शहर में घूमता था। यह सुंदर अनुभव था कि कैसे शहर विकसित हो रहा है, कैसे उसकी राजधानी अधिक से अधिक सुंदर हो रही है। उसका सपना था कि उसे पृथ्वी की सबसे सुंदर जगह बनाया जाए। वह हमेशा अपने घोड़े को रोकता और एक बूढ़े व्यक्ति को देखता। वह एक सौ बीस साल का बूढ़ा रहा होगा जो बागीचे में काम करता रहता, बीज बोता, वृक्षों को पानी देता, ऐसे वृक्ष जिनको बड़ा होने में सैकड़ों साल लगेंगे। ऐसे वृक्ष जो चार हजार साल जीते हैं। उसे बड़ी हैरानी होती यह आदमी आधा कब्र में जा चुका है, किनके लिए यह बीज बो रहा है। वह कभी भी इन पर आए फूल और फलों को नहीं देख पाएगा। इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि वह अपनी मेहनत का फल देख पाएगा। एक दिन वह अपने आपको रोक नहीं पाया। वह घोड़े से उतरा और उस बूढ़े के पास जाकर उससे पूछने लगा, मैं हर दिन यहां से गुजरता हूं और एक प्रश्न मेरे दिमाग में रोज आता है। मैं जानना चाहता हूं कि आप किनके लिए ये बीज बो रहे हैं, ये वृक्ष तब तैयार होंगे, युवा होंगे, जब आप यहां नहीं होंगे। बूढे़ व्यक्ति ने सम्राट की तरफ  देखा और हंसा। फिर बोला, यदि यही तर्क मेरे बाप-दादाओं का होता तो मैं फल और फूलों से भरे इस सुंदर बागीचे से महरूम रह गया होता। हम पीढ़ी- दर- पीढ़ी माली हैं। मेरे पिता और बाप-दादाओं ने बीज बोए, मैं फल खा रहा हूं, मेरे बच्चों का क्या होगा? यदि उनका भी विचार आप जैसा ही होता, तो यहां कोई बागीचा नहीं होता। मैं बस वही कर रहा हूं जो मैं कृतज्ञता से कर सकता हूं। जब वसंत आता है, हर पत्ते को उगते देख कर मुझे इतना आनंद आता है कि मैं भूल ही जाता हूं कि मैं कितना बूढ़ा हूं। मैं युवा बना रहा क्योंकि मैं सतत सृजनात्मक बना रहा हूं। मैं उतना ही युवा हूं जितना कभी था। शायद इसलिए मैं इतना लंबा जिया। ऐसा लगता है कि मृत्यु मेरे प्रति करुणावान है क्योंकि मैं अस्तित्व के साथ चल रहा हूं, लेकिन आप युवा हैं और ऐसे प्रश्न पूछ रहे हैं जैसे कि कोई मर रहा हो। कारण यह है कि आप सृजनात्मक हैं। जीवन प्रेम का एकमात्र ढंग है कि और अधिक जीवन का सृजन करो।  अधिक फलदार अधिक रसपूर्ण।  इसके पहले इस पृथ्वी को मत छोड़ो, जब तक कि तुम इसे थोड़ा अधिक सुंदर न बना दो। यही एकमात्र धर्म है जो मैं जानता हूं। बाकी सारे धर्म नकली हैं। मैं तुम्हें सृजनात्मकता का धर्म सिखाता हूं और अधिक जीवन के सृजन करने से तुम रूपांतरित होओगे क्योंकि जो जीवन का निर्माण कर सकता है वह पहले ही परमात्मा का, भगवान का हिस्सा हो गया। अगर दुनिया में सबकी यही सोच हो, तो ये धरती कितनी सुंदर बन जाए। प्रकृति की हरियाली में ही जीवन का सबसे बड़ा सुख है। अपनी सोच में सृजनात्मकता लाओ, तो हर पल तुम्हें सुख का बोध होगा। भगवान ने तो सभी को एक समान बनाया है।

 


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