0.5 प्रतिशत से ज्यादा एल्कोहल, तो समझो शराब

By: Sep 18th, 2018 12:01 am

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने सभी ड्रिंक्स के लिए तय किए एल्कोहलिक स्टैंडर्ड

सोलन – देश में बिकने वाली किसी भी प्रकार की बीयर व ड्रिंक्स में यदि 0.5 प्रतिशत से अधिक वॉल्यूम का एल्कोहल होगा तो उसे शराब की श्रेणी में समझा जाएगा। इन ड्रिंक्स पर ‘नॉन इंटोक्सीकेटिंग’ शब्द लिखना भी अपराध माना जाएगा। किसी भी एल्कोहल की बोतल के ऊपर यदि ‘मैच्योर्ड’ शब्द लिखा होगा, तो वह कम से कम एक साल तक बैरल, वुडन चिप्स में पकाया होना अनिवार्य कर दिया गया है। यह मानक देश में पहली अप्रैल, 2019 से पूरी तरह से लागू कर दिए जाएंगे। देश में फू्रट वाइन के भी पहली बार स्टैंडर्ड निर्धारित किए गए हैं। अभी तक फू्रट वाइन को बिना किसी मापदंड के बेचा जा रहा था तथा अन्य कई देशों से कॉपी करके ही इन फू्रट वाइन के बेचने के नियम बनाए गए थे।  भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने देश में बिकने वाली प्रत्येक तरह की शराब, बीयर, फू्रट वाइन, ब्रांडी, देशी शराब, जिन, रम, वोदका, विहस्की, स्पार्कलिंग वाइन, रेड व रेड वाइन इत्यादि की बिक्री के लिए नए मापदंड बना दिए हैं। इसको पूरी तरह अमलीजामा पहनाने के लिए 21 सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया गया है। भविष्य में एल्कोहल बीवरेज में अब क्लोरल, हाइडें्रट, अमोनियम क्लोराइड, पाइरीडिन, डियाजापाम, नारकोटिक, कैफीन इत्यादि द्रव्यों के नाम व घोल शामिल नहीं किए जाएंगे। ऐसा करने पर दंडित करने का प्रावधान किया गया है। इससे पूर्व वर्ष 2011 में एल्कोहालिक मानकों को बनाया गया था। अब इसमें व्यापक फेरबदल कर दिया गया है। भविष्य में किसी भी पेय पदार्थ में यदि एल्कोहल की मात्रा 0.5 प्रतिशत से ऊपर है तो उसे वाइन की श्रेणी में ही शामिल कर लिया जाएगा। पहले इसके लिए बनाए गए नियमों में एल्कोहल की सही मात्रा का उल्लेख नहीं किया जाता था।

फ्रूट वाइन के लिए भी मानक तय

एफएसएसएआई  के नए नियमों के अनुसार प्लम, आडू, लीची व सेब इत्यादि फलों के स्टैंडर्ड भी अब निर्धारित है, क्योंकि इससे पूर्व विदेशों में भी सिर्फ अंगूर के ही स्टैंडर्ड थे। यह नए नियम अगले वित्तीय वर्ष में पूरी तरह लागू कर दिए जाएंगे आदेश न मानने वालों को दंड देने का भी है प्रावधान


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