एनजीटी का फैसला क्षेत्राधिकार से बाहर

By: Oct 6th, 2018 12:01 am

निर्णय की वैधता को चुनौती की तैयारी ली जा रही विधि विशेषज्ञों की राय

शिमला – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के भवन निर्माण संबंधी दिए गए फैसले की वैधता को चुनौती देने की तैयारी है। सरकार इस फैसले को एनजीटी के क्षेत्राधिकार से बाहर मान रही है। सरकार इस बारे में कानूनी विशेषज्ञों की राय ले रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका सरकार दायर करेगी। एनजीटी ने शिमला में अढ़ाई मंजिल से अधिक के भवनों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। एनजीटी ने अपने फैसले में साफ कहा है कि ग्रीन, कोर और वन क्षेत्र में कोई भी निर्माण नहीं होगा, जबकि इससे बाहर के क्षेत्रों में अढ़ाई मंजिलों से अधिक भवन नहीं बनाए जा सकेंगे। केवल सरकारी अस्पताल, स्कूल और जरूरी कार्यालयों को इससे छूट दी गई है। इससे उन लोगों को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने शिमला में होटलों और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाने के लिए प्लाट ले रखे हैं। इस फैसले से अब शिमला में 35 डिग्री से अधिक के ढलान पर अब भवनों का निर्माण नहीं किया जा सकेगा, जबकि शिमला में इसके अधिक ढलान है। यही नहीं, एनजीटी ने पहले से बने अवैध भवनों को नियमित करने के लिए भारी भरकम राशि का प्रावधान किया है। इसके तहत रिहायशी भवनों के लिए पांच हजार वर्ग फुट और व्यवसायिक भवनों के लिए 10 हजार वर्ग फुट के हिसाब से जुर्माना देना होगा। इस बारे में नवंबर 2017 में एनजीटी ने फैसला दिया था। हालांकि प्रदेश सरकार ने इस फैसले की समीक्षा करने की याचिका भी एनजीटी में दायर की थी, लेकिन इस याचिका को इस साल जुलाई माह में एनजीटी ने खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद अब शिमला में निर्माण कार्य रुक गए हैं, वहीं अवैध भवनों को गिराने की नौबत आ गई है। प्रदेश में मौजूदा समय में करीब 30 हजार भवन अवैध बताए जा रहे हैं, जो कि नक्शों के अनुरूप नहीं हैं। इनमें से कुछ के नक्शे ही नहीं है, वहीं हाई कोर्ट संशोधित टीसीपी एक्ट को रद्द कर चुका है। इसके चलते अब राज्य सरकार एनजीटी के इस फैसले की वैधता को ही चुनौती देने जा रही है। एनजीटी क्या टीसीपी एक्ट पर इस तरह का फैसला दे सकती है, इसको लेकर कानूनी राय ली जा रही है।


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