कवि सुरेश सेन निशांत नहीं रहे

By: Oct 23rd, 2018 12:15 am

लंबी बीमारी के बाद निधन, शिमला में ली आखिरी सांस

सुंदरनगर – हिमाचल के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित एवं प्रतिष्ठित कवि सुरेश सेन निशांत का सोमवार को निधन हो गया। वह 61 वर्ष के थे। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। सोमवार को अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और परिजन उन्हें सुंदरनगर से शिमला ले गए, जहां उनका देहांत हो गया। राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हिमाचल के कवि का अंतिम संस्कार मंगलवार को उनके पैतृक गांव सलाह में किया जाएगा। सुरेश सेन निशांत हिमाचल के ऐसे कवि थे, जो वन फूल की तरह खिलकर अपनी गंध बिखेरते रहे हैं। कविता के लिए उन्हें राष्ट्रीय सूत्र सम्मान से नवाजा जा चुका है। वहीं उनके कविता संग्रह, ‘वे जो लकड़हारे नहीं थे’ को हिमाचल भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी का साहित्य सम्मान मिल चुका है। उनके निधन पर हिंदी के वरिष्ठ कथाकार प्रो. सुंदर लोहिया, प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष दीनू कश्यप, वरिष्ठ कवि श्रीनिवास श्रीकांत, कथाकर एसआर हरनोट, कथाकर संपादक केशव, कवि अजय, एडवोकेट देशरार्ज, कवि यादविंद्र, डा. विजय विशाल, मुरारी शर्मा, प्रकाश पंत, डा.गंगाराम राजी, रेखा, डा. आरके गुप्ता, कृष्णचंद्र महादेविया, पवन चौहान, रूपेश्वरी शर्मा, हरी प्रिया शर्मा, प्रकाश चंद्र धीमान, डा. पीसी कौंडल, बीरबल शर्मा, धर्मपाल सरोच, दिनेश धर्मपाल, डा. कमल प्यासा, डा. जयइंद्र पाल, शायर रविराणा शाहीन और तेजेंद्र शर्मा आदि ने शोक व्यक्त किया।

‘दिव्य हिमाचल’ ने भी नवाजे थे

‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप ने सुरेश सेन निशांत को ‘राइटर ऑफ दि ईयर’ अवार्ड से सम्मानित किया था। सुरेश सेन निशांत के बारे में कवि संपादक विजेंद्र का कहना है निशांत अपनी कविताओं के लिए अपनी चित्त-भूमि को उसी तरह कमाते थे, जैसे किसान अपनी धरती को। उन्हें न कोई हड़बड़ी थी, न प्रदर्शन की भूख। यही वजह है कि उनकी कविता में स्वतः स्फूर्ति है। सहज है। मर्म पर सीधे असर करती है। उनके निधन से हिमाचल के साहित्य जगत में शोक की लहर है।


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