क्लस्टर में विकसित होंगे औद्योगिक क्षेत्र

By: Oct 11th, 2018 12:02 am

प्रदेश सरकार ने केंद्र को भेजी पांच योजनाएं, दो और प्रस्ताव तैयार कर रहा विभाग

शिमला —हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए प्रदेश सरकार केंद्र से करोड़ों रुपए की डिमांड कर रही है। राज्य सरकार ने क्लस्टर आधार पर प्रदेश के उद्योग क्षेत्रों को पैसा मांगा है। यहां से पांच क्लस्टर बनाकर भेजे गए हैं, जिसके बाद दो और प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार से ये पैसा मिले तो राज्य में इंडस्ट्रीयल एरिया का बेहतर तरीके से विकास हो सकेगा।  प्रदेश में उद्योगों को लाने के लिए जरूरी है कि आधारभूत ढांचा बेहतर हो। यहां बड़ी संख्या में उद्योग धंधे स्थापित हो चुके हैं। इन उद्योगों के ठहराव और नए उद्योगों को यहां लाने के लिए जरूरी है कि सरकार तेजी के साथ प्रयास करे। यही वजह है कि राज्य सरकार के उद्योग विभाग ने यहां आधारभूत जरूरतों को लेकर सर्वेक्षण किया। इस सर्वे में इनकी जरूरतें सामने आई हैं और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए  धन की दरकार है। क्योंकि प्रदेश सरकार उद्योग विभाग की उतनी मदद नहीं कर सकती, लिहाजा उसने केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत प्रदेश को पैसा दिलाने के लिए प्रस्ताव बनवाए हैं। बताया जाता है कि पांच प्रस्ताव केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं, जिसमें प्रमुख उद्योग क्षेत्रों के लिए योजनाआें का ब्योरा है। जो पांच क्लस्टर उद्योग विभाग ने भेजे हैं, उनमें परवाणू, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ व कालाअंब क्षेत्रों की योजनाओं का जिक्र है, जिसके बाद ऊना जिला के लिए भी दो क्लस्टर केंद्र को भेजे जाएंगे।  इन क्षेत्रों में पुराने आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए पैसे की मांग की गई है, वहीं नए सिरे से यहां पर अंदरूनी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण करने, सफाई व्यवस्था के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित करने, पेयजल व बिजली की आपूर्ति को सुनिश्चित बनाने के लिए और ढांचा विकसित करने की बात है। इन कार्यों के लिए अलग-अलग योजनाएं बनी हैं जिनके लिए अलग-अलग मदों में पैसा मांगा गया है। करोड़ों रुपए के ये क्लस्टर प्रोजेक्ट प्रदेश को मंजूर भी हो जाएंगे इसकी उम्मीद है।

असाइड योजना बंद

इससे पहले केंद्र सरकार असाइड योजना के तहत प्रदेश को आधारभूत ढांचे के विकास के लिए पैसा देती रही है, लेकिन यह योजना वर्ष 2016 में बंद कर दी गई। इसके बाद किसी दूसरी योजना से प्रदेश को लाभ नहीं मिला। ऐसे में अब क्लस्टर आधार पर योजनाएं केंद्र को भेजी गई है।

 


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