ग्रोथ में अव्वल, जॉब में पिछड़ा

By: Oct 11th, 2018 12:03 am

भारत में सात फीसदी रेट के बाद भी एक फीसदी सुधरा रोजगार

नई दिल्ली -दुनिया की सबसे तेजी बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के बीच का संबंध कमजोर पड़ रहा है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का रिसर्च डाटा बताता है कि मौजूदा सात प्रतिशत के ग्रोथ रेट के बावजूद भारत में रोजगार की परिस्थियों में महज एक प्रतिशत सुधार हुआ है, जबकि 1970 और 80 के दशक में तीन से चार प्रतिशत की विकास दर के साथ रोजगार सृजन में दो प्रतिशत का सुधार देखा जा रहा था। यानी, पुराने ढर्रे पर भी ध्यान दें तो मौजूदा परिस्थिति में रोजगार सृजन में कम-से-कम चार प्रतिशत का सुधार होना चाहिए था। हालत यह है कि 2015 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर पांच प्रतिशत हो गई थी, जो पिछले कम-से-कम 20 वर्षों में सबसे ज्यादा रही। अमित बसोले के नेतृत्व में की गई इस रिसर्च में सामने आया है कि ग्रोथ और जॉब्स के बीच घटते अनुपात का मुख्य कारण कौशल और अच्छी नौकरियों के बीच तालमेल बिगड़ना है। देश में 47 करोड़ 70 लाख के वर्कफोर्स में कथित तौर पर अच्छी नौकरियों की हिस्सेदारी महज 17 प्रतिशत है। ध्यान रहे कि तथाकथित अच्छी नौकरियों में मुख्य रूप से औपचारिक नियुक्तियां ही शामिल हैं। स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2018 नामक इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है, आसान भाषा में कहें तो ऊंची वृद्धि दर ने उम्मीद बढ़ाई, लेकिन उस तरह की नौकरियां पैदा करने में असफलता हाथ लग रही है, जो इन उम्मीदों को पूरा कर सके। रिसर्चरों ने अपनी रिपोर्ट में कहा, इससे सिर्फ रोजगार सृजन के मुद्दे की तरफ ध्यान आकर्षित नहीं हो रहा है, बल्कि प्रतिष्ठित और उम्मीदों पर खरा उतरनेवाली नौकरियों की समस्या भी उभरकर सामने आ रही है।

 


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