धर्मशाला शहर के पानी से भर दी नड्डी डल झील

By: Oct 20th, 2018 12:15 am

दशहरे की छुट्टी के चलते प्रशासन ने की व्यवस्था, नड्डी झील में छोड़ी पेयजल टाउन स्कीम की सप्लाई

धर्मशाला – देवभूमि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन सहित धार्मिक आस्था की प्रतीक नड्डी डल झील की मछलियों को बचाने के लिए प्रशासन ने अब आनन-फानन में धर्मशाला पेयजल टाउन स्कीम टैंक का पानी लेक में डाल दिया है। ‘दिव्य हिमाचल’ समाचार प्रकाशित करने के बाद शुक्रवार सुबह लगभग पूरी तरह से सूख चुकी डल झील की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से पानी की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है। दशहरा उत्सव की छुट्टी के चलते प्रशासन और पर्यटन विभाग ने स्थायी समाधान की बजाय फिलहाल पानी झील में डाल दिया है। हालांकि प्रशासन और विभाग ने शनिवार से नड्डी झील सुधारीकरण का कार्य शुरू करने का दावा किया है। वहीं, स्थानीय लोगों में सरकार, प्रशासन और विभाग के प्रति काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। मछलियों को स्थायी रूप से सुरक्षित कर डल झील के सुराख को भरने की मांग की है। बता दें कि इन दिनों झील में हज़ारों मछलियां कीचड़ में ही तड़पने के लिए मजबूर हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान में पानी के लिए एक ऋषि ने वरदान दिया था। नड्डी झील में एकत्रित होने वाला पानी सात पवित्र धाराओं से निकलता है। झील में पवित्र काली कुंड भी है, जिसके पास ही सात धाराओं से कई वर्षों से पानी निकल रहा है। नड्डी मणिमहेश न पहुंचने वाले श्रद्धाल इस डल झील में डुबकी लगाकर शाही स्नान करते हैं, लेकिन लगातार अनदेखी और पर्यावरण से छेड़छाड़ का दंश झेल रही झील अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। पिछले पांच दिन में पूरी तरह से खाली हो गई झील और तड़पती मछलियों को बचाने के लिए ’दिव्य हिमाचल’ ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए। इसके बाद अब प्रशासन ने भी धर्मशाला शहर के लिए अस्थायी रूप से पीने के पानी के टैंक से सीधे झील में कनेक्शन दिया गया है, ताकि लगातार झील में पानी पहुंचता रहे। हालांकि अब प्रशासन और पर्यटन विभाग द्वारा इसका स्थायी समाधान खोजने के लिए विशेषज्ञों की मदद से कार्य किया जाएगा।

लोगों ने भरा था झील का सुराख

नड्डी डल झील का पानी अरसे से सूख रहा है, जिस कारण झील में मौजूद हज़ारों मछलियों को भी खतरा पैदा हो गया है। इसका कारण झील में मौजूद सुराख है, जिससे काफी अधिक मात्रा में पानी निकल रहा है। कुछ समय पहले स्थानीय लोगों ने ही सुराख में मिट्टी की बोरियां भर कर पानी को रोक दिया था, लेकिन अब नए सुराख के बारे में स्थानीय लोगों को भी कोई जानकारी नहीं है। इसके चलते अब स्थानीय लोग भी कोई प्रयास नहीं कर पा रहे हैं।


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