नार्वे से आयात होंगे पांच लाख मछली के अंडे

By: Oct 2nd, 2018 12:05 am

पतलीकूहल —कई वर्षों से एक ही बु्रडर स्टॉक से ट्राउट कृत्रिम प्रजनन प्रक्रिया को तरजीह दी जा रही थी इसलिए ट्राउट मछली में और सुधार लाने के लिए नार्वे से विभाग ट्राउट के पांच लाख अंडों का आयात करेगा। क्योंकि लंबे समय से प्रदेश के सभी ट्राउट फार्मों में इनब्रीडिंग की तकनीक ही अपनाई जा रही थी, जिसके लिए इसमें सुधार लाने के लिए नार्वे से फे्रश अंडों का आयात करना अनिवार्य है। विभाग इसमें से नए बु्रडर स्टॉक तैयार करेगा और भविष्य में हर वर्ष नार्वे से पांच-पांच लाख अंडों का आयात करेगा, ताकि हिमाचल के सरकारी व गैर सरकारी फार्माें में बु्रडर की नया स्टॉक बनता रहे, जिससे ट्राउट में सुधार आए। नब्बे के दशक में भारत नार्वे ट्राउट कृषि परियोजना के तहत पतलीकूहल में ट्राउट फार्म को विकसित किया गया। इसके स्थापित होने से कुल्लू ही नहीं, बल्कि प्रदेश में ट्राउट फार्मिंग से स्वरोजगार का आगाज हुआ और आज प्रदेश में इस परियोजना के  स्थापित होने से ट्राउट फार्म पतलीकूहल विश्व में विख्यात है। आज प्रदेश में 300 से अधिक निजी ट्राउट फार्म हैं, जिसमें 762 से अधिक यूनिट में ट्राउट मत्स्य पालन हो रहा है। नब्बे के दशक में पतलीकूहल में तैयार हुई इस परियोजना को 25 वर्षों में तीन बार बाढ़ का मंजर देखने को मिला, जिससे इसे भारी नुकसान पहंुचा। वर्ष 1993, 1995 और 23 सितंबर, 2018 में सुजान नाले में आई भारी बाढ़ से ट्राउट फ ार्म को भारी नुकसान हुआ है। इस बार की बाढ़ की तबाही से फार्म की हैचरी में तैयार बु्रडर स्टॉक के साथ विक्रय योग्य 8000 किलोग्राम ट्राउट मछली बाढ़ की भेंट चढ़ गई। हालांकि फार्म में पुनः ट्राउट पालन के लिए विभाग भरसक प्रयत्न कर रहा है, ताकि ट्राउट के शौकिनों को पहले की तरह देश के पांच सितारा होटलों में पतलीकूहल से मछली का विक्रय हो। मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि विभाग के अन्य सरकारी फार्मो में मछली का स्टॉक पर्याप्त है। वहीं पर पतलीकूहल की हैचरी में हर वर्ष तीन लाख अंडों का उत्पादन करने की क्षमता है, लेकिन वह यहां से सात लाख अंडांे से अधिक का उत्पादन करता रहा है। उन्होंने बताया कि यहां से देश के अन्य ट्राउट पालक राज्यों को भी अंडों का विक्रय किया जाता है। इस वर्ष भी पतलीकूहल फार्म से सिक्किम राज्य के दो लाख ट्राउट के अंडे भेजे जाने थे, लेकिन फार्म में ब्रुडर स्टॉक बाढ़ की भेंट चढ़ गया, जिससे कृत्रिम प्रजनन प्रक्रिया पूरी तरह से बाधित हो गई है। उन्होंने कहा कि फार्म को जैसे ही पानी की आपूर्ति बहाल होगी वैसे वहां के रेसवेज में अंगुलिकाएं डालकर मछली पालन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।


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