मंदिर में प्रवेश से रोकने पर दो दोषी करार

By: Oct 4th, 2018 12:05 am

बिलासपुर—मंदिर पर शूद्र प्रवेश न करें, लिखने को लेकर एससीएसटी एक्ट के तहत दर्ज किए गए मामले में स्पेशल जज बहादुर सिंह की अदालत ने बुधवार को दोनों अभियुक्तों को सजा के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि सजा सुनाने के लिए 10 अक्तूबर का दिन तय किया है। जाति के आधार पर श्रद्धालुओं को मंदिर में जाने से रोकना और मंदिर के बाहर आपत्तिजनक सूचना प्रदर्शित करना एक बाबा और उसके साथी को महंगा पड़ा। जिला उप-न्यायवादी उमेश कुमार शर्मा के अनुसार तुलसीदास बंसल ने कोट पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी कि वह कुछ अन्य लोगों के साथ 24 जनवरी, 2012 को खैरियां के महाबली मंदिर में दर्शन के लिए गए थे, लेकिन वहां मौजूद बाबा केवल पुरी व उसके साथी हर केवल सिंह ने जाति के आधार पर उन लोगों को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। इतना ही नहीं, मंदिर परिसर की दीवार पर बाकायदा बोर्ड लगाकर यह सूचना भी प्रदर्शित की गई थी कि शूद्र मंदिर में प्रवेश न करें। तुलसीदास बंसल की शिकायत पर कोट थाने में एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। छानबीन के बाद कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत की गई। तत्कालीन जिला न्यायवादी संदीप अत्री ने सरकार की ओर से इस मामले में पैरवी की। अभियोजन पक्ष की ओर से 14 गवाह अदालत में पेश किए गए। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से भी चार गवाह पेश किए गए। बुधवार को स्पेशल जज बहादुर सिंह की अदालत ने बाबा केवल पुरी और उसके साथी हर केवल सिंह को सजा के आदेश दिए। हालांकि सजा का फैसला दस अक्तूबर के लिए सुरक्षित रखा गया है। इस मामले में उन्हें छह माह से पांच साल तक की सजा हो सकती है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App