रक्षा प्रतिष्ठानों में फैलता पाक जासूसों का जाल

By: Oct 17th, 2018 12:05 am

योगेश कुमार गोयल

लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं

अब जिस प्रकार सैन्य अड्डों, सैन्य व रक्षा प्रतिष्ठानों, कारखानों इत्यादि की जासूसी करने वालों का नेटवर्क हमारे ही तंत्र में पैठ बना रहा है, तो यह हमारी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती का विषय बन गया है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हनी-ट्रैप में फंसकर देश के साथ गद्दारी करने वालों को कड़ी सजा के प्रावधान किए जाने के साथ-साथ देश के तमाम सैन्य व रक्षा प्रतिष्ठानों में कार्यरत जवानों, अधिकारियों और इंजीनियरों की हरकतों की कड़ी निगरानी की जाए और हमारी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां विशेष सतर्कता बरतते हुए अपने नेटवर्क को मजबूत बनाने की ओर ध्यान दें…

देश के रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों में पाकिस्तानी जासूसों का जाल जिस कद्र फैलता जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि न केवल सेना के जवान, बल्कि अब तो सेना और रक्षा प्रतिष्ठानों के बड़े-बड़े अधिकारी, वैज्ञानिक और यहां तक कि राजनयिक भी देश के साथ गद्दारी करते पकड़े जा रहे हैं। अब नागपुर में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की ब्रह्मोस यूनिट के सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल तथा कानपुर व आगरा स्थित रक्षा प्रयोगशाला डिफेंस मेटीरियल्स एंड स्टोर्स रिसर्च एंड डेवेलपमेंट (डीएमएसआरडीई) की महिला वैज्ञानिक सहित दो वैज्ञानिकों को दबोचा गया है। निशांत द्वारा ब्रह्मोस यूनिट की कई गोपनीय जानकारियां अपने निजी लैपटॉप में सेव कर ली गई थीं, जबकि इस प्रकार के गोपनीय दस्तावेज यूनिट से बाहर नहीं ले जाए जा सकते। चूंकि निशांत की फेसबुक आईडी से दो महिलाओं के नाम से बनी ऐसी फेसबुक आईडी पर चैटिंग का खुलासा हुआ है, जो पाकिस्तान से संचालित हो रही थीं। अतः जांच एजेंसियों द्वारा अब यह पता लगाया जा रहा है कि कहीं यह भी ‘हनी-ट्रैप’ का मामला तो नहीं है।

पिछले ही महीने 18 सितंबर को उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा हनी-ट्रैप के शिकार बीएसएफ के एक जवान अच्युतानंद मिश्रा को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत गिरफ्तार किया था। उसी से पूछताछ के दौरान डीआरडीओ के इंजीनियर निशांत अग्रवाल के बारे में सुराग मिला, साथ ही उत्तर प्रदेश से दो और वैज्ञानिक भी जासूसी के मामले में पकड़े गए। कुरूक्षेत्र के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग कर चुका और रुड़की में रिसर्च इंटर्न रह चुका उत्तराखंड निवासी निशांत पिछले चार वर्षों से डीआरडीओ की ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट के प्रोजेक्ट में कार्यरत था, जिसे पिछले ही साल युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। हालांकि जासूसी का यह कोई नया मामला नहीं है, लेकिन अगर देश का ऐसा होनहार वैज्ञानिक भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करता पकड़ा जाए, तो इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है। कल्पना की जा सकती है कि जिन मां-बाप ने अपनी कड़ी मेहनत के बाद अपने बेटे को सफलता के इस मुकाम तक पहुंचाया होगा, जब उन्हें पता लगा होगा कि उनके बेटे ने क्या गुनाह किया है, तो उनके कलेजे पर क्या बीती होगी। उच्च पदों पर आसीन लोग भी अगर महंगे कपड़ों, कारों, बाइकों, चीजों के शौक को पूरा करने और विलासितापूर्ण जीवन जीने के लिए इस प्रकार ‘हनी-ट्रैप’ में फंसकर देश के साथ गद्दारी करके यहां की खुफिया जानकारियां दुश्मन देश तक पहुंचाने का जरिया बनने लगें, तो देश के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है। आखिर क्या हो गया है हमारे प्रतिभा संपन्न युवाओं की मानसिकता को? कुछ ही माह पहले पाकिस्तान को गोपनीय सूचनाएं लीक करने के मामले में भारत की पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को आईएसआई के लिए जासूसी करने के मामले में सरकारी गोपनीयता कानून की धारा 3 और 5 के तहत सजा सुनाई गई थी, जो 2007 से 22 अप्रैल, 2010 तक पाकिस्तान में इस्लामाबाद स्थित भारत उच्चायोग में तैनात थी। बतौर राजनयिक जिसे अपने कार्यकाल के दौरान पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संवेदनशील जानकारियां साझा करने तथा राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने का दोषी पाया गया था। पाक खुफिया एजेंसी ने माधुरी को हनी-ट्रैप में फंसाने के लिए अपने दो जासूसों मुबशर रजा राणा और 30 वर्षीय जमशेद एलियास जिम का इस्तेमाल किया था, जिनका मकसद माधुरी को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनसे भारत से जुड़ी गोपनीय और संवदेनशील जानकारियां उगलवाना था और आईएसआई अपने इस उद्देश्य में कामयाब भी हुई थी। अब प्रशांत अग्रवाल के संबंध में खुलासा हुआ है कि वह पिछले दो वर्षों से ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना की गोपनीय जानकारियां अमरीका और पाकिस्तान को उपलब्ध करा रहा था, लेकिन हैरानी की बात है कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। अगर पिछले माह अच्युतानंद मिश्रा की गिरफ्तारी नहीं हुई होती, तो शायद निशांत का यह खेल अभी बहुत लंबा चलता। माना जा रहा है कि चूंकि भारत की ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान भयभीत है, इसलिए उसने निशांत जैसे इंजीनियरों को हनी-ट्रैप के जरिए अपना शिकार बनाया। बता दें कि ब्रह्मोस एक ऐसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो 3700 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज गति से करीब 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और परमाणु हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम है।

सेना के जंगी बेड़े में शामिल इस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है, जो कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण रडार को भी आसानी से चकमा दे सकती है। हिंद महासागर में निरंतर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे चीन और पाकिस्तान के जहाजों पर भी यह इसलिए भारी है, क्योंकि इसे पनडुब्बी से जमीन, हवा अथवा पानी से अर्थात कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। अमरीका, कोरिया और जापान जैसे देश अपने जंगी जहाजों के लिए जिस कॉम्बेट प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं, ब्रह्मोस उस पर भारी है। रामायण और महाभारत जैसी पौराणिक कथाओं में ‘ब्रह्मास्त्र’ नामक ऐसे शस्त्र का उल्लेख मिलता है, जो अपने लक्ष्य को भेदकर ही लौटता था और डीआरडीओ द्वारा निर्मित ब्रह्मोस भी अपनी उपरोक्त विशेषताओं के कारण ‘भारतीय सेना का ब्रह्मास्त्र’ ही कहलाता है। अच्युतानंद मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने खुलासा किया था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई खूबसूरत लड़कियों की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर सुरक्षा बलों के लोगों को मोहब्बत के जाल में फंसाकर जासूसी करा रही है। एटीएस के आईजी असीम अरुण के मुताबिक आईएसआई पहले पाकिस्तान से भारत आने वाले लोगों और उनके रिश्तेदारों को लालच देकर तथा कई बार पाकिस्तान में फंसे भारतीयों के रिश्तेदारों से सैन्य क्षेत्रों के फोटो तथा अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए जासूसी करवाती थी, किंतु सोशल साइटों के बढ़ते प्रभाव के बाद पिछले कुछ समय से आईएसआई ने जासूसी के लिए नए हथकंडे अपनाने शुरू किए हैं। महिलाओं के नाम की फेसबुक आईडी के जरिए आईएसआई रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों के लोगों को भ्रमित कर उन्हें हनी-ट्रैप में फंसाकर जासूसी करा रही है। आईजी असीम अरुण के मुताबिक दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ही आईएसआई ने करीब 150 ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसा रखा है। पिछले कुछ समय में देश के साथ गद्दारी करते पकड़े गए लोगों से पूछताछ के दौरान यह स्पष्ट भी हो चुका है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने किस प्रकार हमारे जवानों व अधिकारियों को अपने जाल में फंसाने के लिए फेसबुक पर हसीनाओं की पूरी फौज तैयार कर रखी है।

ये हसीनाएं दोस्ती की आड़ में, पैसों का लालच देकर और यहां तक कि यौन संबंध बनाने का लालच देकर भी खुफिया जानकरियां हासिल करती हैं और अगर अपने शिकार की कोई आपत्तिजनक तस्वीर या ऑडियो अथवा वीडियो रिकार्डिंग उनके हाथ लग जाए, तो उन्हें ब्लैकमेल करके भी सारे खुफिया राज उगलवाती हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान हमारे देश के खिलाफ अपनी नई रणनीति बनाने और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाने के लिए करता है। अब जिस प्रकार सैन्य अड्डों, सैन्य व रक्षा प्रतिष्ठानों, कारखानों इत्यादि की जासूसी करने वालों का नेटवर्क हमारे ही तंत्र में पैठ बना रहा है, तो यह हमारी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती का विषय  है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हनी-ट्रैप में फंसकर देश के साथ गद्दारी करने वालों को कड़ी सजा के प्रावधान किए जाने के साथ-साथ देश के तमाम सैन्य व रक्षा प्रतिष्ठानों में कार्यरत जवानों, अधिकारियों और इंजीनियरों की हरकतों की कड़ी निगरानी की जाए और हमारी सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां विशेष सतर्कता बरतते हुए अपने नेटवर्क को और मजबूत बनाने पर ध्यान दें।


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