रतन भुवनेश्वर का आधा मंदिर गाद में ध्ंास चुका है

By: Oct 14th, 2018 12:05 am

91 वर्ष पूर्व (1927) मोहन को जहां फांसी हुई थी, वह स्थान भी डूब चुका है। मोहन ने अपने भाई की जान बचाने के लिए फांसी का फंदा चूमा था। इस जिला का भू-भाग उच्च हिमालय क्षेत्र तथा कुछ शिवालिक घाटी के क्षेत्र को भी छूता है…

गतांक से आगे …

मार्च में जब झील का जल स्तर गिर जाता है, उसे शहर के अवशेष व वीरान सांडु मैदान अतीत की याद दिलाते हैं। आज भी लोगों को याद आ जाती है, आठ अगस्त की वह शाम, जब मुरली मनोहर की गुमटी डूबी। दूर सुनाई देता है, लोक गीत- ‘सांडु रे मदाना च झीला रा पानी हुण से नलवाड़ी असें किती लगाणी, झुली जायां दिलजुआ हो।’ रतन भुवनेश्वर का आधा मंदिर गाद में धंस चुका है। यहीं पर शिवलिंग पर राजा बिलासपुर पानी डालते थे। बुजुर्ग कहते हैं कि जलधारा सतलुज नदी में मिलती थी, तब वर्षा हो जाती थी। 91वर्ष पूर्व (1927) मोहन को जहां फांसी हुई थी, वह स्थान भी डूब चुका है। मोहन ने अपने भाई की जान बचाने के लिए फांसी का फंदा चूमा था।

इस जिला का भू-भाग उच्च हिमालय क्षेत्र तथा कुछ शिवालिक घाटी के क्षेत्र को भी छूता है। शिवालिक क्षेत्र के साथ ही पंजाब के पहाड़ी मैदान हैं। इस जिला की सीमाएं उत्तर पश्चिम व पश्चिम में जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में जम्मू कश्मीर का लद्दाख, लाहुल व बड़ा भंगाल, पूर्व व दक्षिण पूर्व मंे कांगड़ा तथा दक्षिण में पंजाब का गुरदासपुर जिला स्थित है। जिला चंबा का सारा भू-भाग पहाड़ी है, जहां समुद्रतल से ऊंचाई 610 मीटर (2000 फुट) से 6400 मीटर (21000 फीट) के मध्य पाई जाती है। इस जिला की अधिकतम लंबाई दक्षिण-पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर लगभग 70 मील तथा चौड़ाई दक्षिण पूर्व  से उत्तर-पश्चिम तक 50 मील है। इस जिला के मुख्य प्राकृतिक खंड चिनाब घाटी जिसमें शामिल हैं पांगी, चंबा, लाहुल तथा व्यास खंड जो शेष भटियात क्षेत्र को भी अपने में शामिल करता है।

पर्वत शृंखलाएं  हाथी धार (हिम रहित ख्ंाड) ः  इस खंड का उच्चतम बिंदु 5256 फीट (1615 मीटर) है। हाथी धार शिवालिक शृंखला के भीतरी भाग में स्थापित क्षेत्र है, जिसका विस्तार कांगड़ा जिला के रेहलू स्थान से प्रारंभ होकर लगभग रावी तक जाता है। चंबा हिमाचल प्रदेश का सुदूर उत्तर-पश्चिमी जिला है। छोटे से भूखंड का ऐतिहासिक अवशेषों तथा शिलालेखों की दृष्टि से इतना अधिक महत्त्व है कि निःसंकोच इसे इतिहासकार कश्मीर व नेपाल की श्रेणी में रखते हैं। पंजाब के गुरदासपुर व कांगड़ा की ओर से चंबा पूर्वकाल में सदा राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए एक खुला मैदान बना रहा दक्षिण व दक्षिण-पूर्व में स्थित यह जिला सामान्यतः उबड़-खाबड़ तथा उत्तर की ओर अंडाकार में सिकुड़ा हुआ है। इस भूखंड की तीन प्रमुख घाटियां हैं-ब्यास घाटी, रावी या चंबा घाटी, चिनाव घाटी या  पांगी-चंबा लाहुल घाटी। यहां की दक्षिण-पश्चिम घाटियां उपजाऊ उर्वरा से संपन्न हैं। रावी घाटी एक खुली व विभिन्न प्रकार के वैषम्य व सहज अंतर वाली विशेषताओं से परिपूर्ण है। हाथी धार के निचले क्षेत्र वनस्पति सेमीट्रापिकल  तथा उच्च खंडों में ओक, अखरोट प्रजाति, पाइनस लोगिफोलिया व जुनिपर श्रेणी की हैं।


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