रियल इस्टेट में करियर बहुविकल्पीय क्षेत्र

By: Oct 21st, 2018 12:08 am

यह क्षेत्र एक बहुविकल्पीय और जॉब प्रदान करने वाला है। आर्किटेक्ट भवन का मैप तैयार करता है, उस मैप को साकार रूप देने की जिम्मेदारी सिविल इंजीनियरों की होती है। नक्शा बनने के बाद निर्माण स्थल का सर्वेक्षण तकनीकी और वित्तीय पक्ष की जांच- पड़ताल और निर्माण कार्य की योजना बनाई जाती है। इंटीरियर डिजाइनरों की जरूरत भी आखिर में पड़ती है। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट प्रोफेशनल की आवश्यकता भी होती है।

वेतनमान

इस क्षेत्र में वेतनमान इस बात पर निर्भर करता है कि आप सरकारी क्षेत्र में कार्यरत हैं या  निजी क्षेत्र में। आपको वरिष्ठता के अनुसार वेतन मिलता है और निजी क्षेत्र में कंपनी के ऊपर है कि वह कितना पैकेज देती है। वैसे निजी कंपनियां अच्छे पैकेज पर लोगों को रखती हैं।

सामूहिक श्रम से सफलता

किसी भी चीज का निर्माण एक सामूहिक श्रम  होता है। कोई एक व्यक्ति अकेला किसी निर्माण को पूरा नहीं कर सकता। जहाज को बनाने की बात हो या सूई को बनाना हो, सामूहिक श्रम से ही काम होगा। वास्तुकला और सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में निर्माण एक प्रक्रिया है, जिसमें निर्माण या बुनियादी सुविधाओं का एकत्रीकरण किया जाता है। एकल गतिविधि से दूर बड़े पैमाने पर निर्माण का अर्थ कई तरह के कार्य पूरे करना होता है। सामान्य रूप से काम परियोजना प्रबंधक करता है और निर्माण प्रबंधक, डिजाइन इंजीनियर, निर्माण इंजीनियर या परियोेजना वास्तुकार की देखरेख में संपन्न होता है। परियोेजना के सफल निष्पादन के लिए प्रभावी योजना बनाना आवश्यक है। निर्माण में जुटे हर किसी की सफलता के लिए अपनी भूमिका का पता होना बहुत जरूरी है।

2022 तक करोड़ों कामगारों की जरूरत होगी

नेशनल स्किल डिवेलपमेंट कारपोरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक भारत को रियल इस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में करीब 8 करोड़ माहिर पेशेवरों की आवश्यकता होगी । ये आंकड़े कारपोरेशन ने 24 सेक्टरों का अध्ययन करने के बाद सामने रखे हैं, लेकिन 2013-2022 तक रियल इस्टेट सेक्टर में सबसे ज्यादा वर्क फोर्स की जरूरत पड़ेगी। असल में वर्ष 2030 तक किफायती आवासों की मांग 2 करोड़ 90 लाख से 3 करोड़ 80 लाख हो जाएगी। इसलिए रियल इस्टेट सेक्टर में कामगारों की मांग भी बढ़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार भविष्य को देखते हुए यह बात भी साफ  हो गई है कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में आने वाले समय में नौकरी पाने के बेहतरीन अवसर होंगे ।

मंदी में भी रोजगार कम नहीं

गत दिनों में मंदी के दौर से गुजरने के बावजूद रियल इस्टेट अब भी नई नौकरियां देने में सबसे आगे है। कई बिजनेस मैनेजमेंट छात्रों को सबसे ज्यादा रियल इस्टेट की कंपनियों में मौके मिल रहे हैं। आर्थिक मंदी के दौर से गुजरने के बावजूद रियल इस्टेट कंपनियां नई नौकरी देने में अगुवा साबित हुई हैं ।

चुनौतीपूर्ण व संतोषप्रद करियर

इस सेक्टर में काम करने की चाह रखने वाले एक चुनौतीपूर्ण करियर की आस कर सकते हैं। कंसल्टिंग तथा फाइनांस जॉब्स विशेष रूप से लाभान्वित कर सकती हैं, जो एक संतोषप्रद करियर के लिए उनका मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं । वे विभिन्न संस्थानों में करवाए जाने वाले रियल इस्टेट फाइनांस संबंधी विशेषज्ञता प्रदान करने वाले कोर्स कर सकते हैं ।

निजी क्षेत्र में संभावनाएं

रियल इस्टेट कंपनियां प्रोफेशनल्स को फाइनांस इंश्योरेंस, मार्केटिंग, लीगल प्लानिंग एंड डिवेलमेंट जैसे कार्यों के लिए एग्जीक्यूटिव के रूप में  नियुक्त करती हैं। इन कंपनियों में मैनेजर ट्रेनी, असिस्टेंट मैनेजर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, लीगल एग्जीक्यूटिव और प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के रूप में करियर बना सकते हैं निजी क्षेत्र में करियर की संभावनाएं हैं। आधारभूत क्षेत्र  सड़क, बिजली, बांध और नहर आदि क्षेत्रों की विकास परियोजनाओं में प्रोजेक्ट मैनेजर साइट आफिसर और  सुपरवाइजर आदि के रूप में करियर बनाया जा सकता है। आर्किटेक्चर के डिग्रीधारक को तो मौके  मिलते ही हैं, बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के पेशेवर लोग अपनी निजी कंपनी भी खोल सकते हैं।

सरकारी क्षेत्र में संभावनाएं

लोक-निर्माण विभाग, डाक विभाग, तार- रेलवे तथा टाउन और कंट्री प्लानिंग जैसे विभागों में बड़ा स्कोप है। सरकारी क्षेत्र में  रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए निर्माण उद्योग का एक विस्तृत दायरा है।

रेजिडेंशियल रियल इस्टेट ब्रोकरः ऐसा ब्रोकर जो रेजिडेंशियल प्रापर्टी को खरीदने और बेचने का काम करता है।

कॉमर्शियल रियल इस्टेट ब्रोकरः ऐसा ब्रोकर जो होटल, आफिस, कॉमर्शियल बिल्डिंग को खरीदने और बेचने का काम करता हो। यही नहीं, इसके लिए उसे मार्केट की अच्छी नॉलेज होना जरूरी है।

रियल इस्टेट में करियर ऑप्संस

रियल इस्टेट इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंटः ये कंसल्टेंट लोगों को उनकी प्रापर्टी  इन्वेस्ट करने में सलाह देते हैं। इन्हें रियल इस्टेट मार्केट की काफी गहरी जानकारी होती है।

प्रापर्टी मैनेजरः ये मैनेजर किसी प्रोफेशनल प्रापर्टी मैनेजमेंट फर्म के पार्ट होते हैं और किसी की इन्वेस्टमेंट प्रापर्टी की देखभाल करते हैं।  प्रापर्टी किराए, लीज पर लेना और कस्टमर्स से डील करना इनका काम होता है। इसके लिए आपको अच्छे से नेगोसिएशन करना आना चाहिए।

फैसेलिटीज मैनेजरः  फैसेलिटीज मैनेजर का कांसेप्ट बड़े-बड़े रिएल इस्टेट प्रोजेक्ट से जुड़ा है। इनका काम बड़े-बड़े रेजिडेंशियल टाउनशिप, मॉल्स, आफिस बिल्डिंग की बिक्री में ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाना होता है।

रियल इस्टेट एनालिस्टः  रियल इस्टेट एनालिस्ट का काम लोगों को निवेश के लिए बेहतर लोकेशन, जमीन या अन्य प्रापर्टी के बारे में सूचनाएं और जानकारियां देना है। इस तरह की जानकारियों को ब्रोकरेज हाउस अपने बड़े क्लाइंट्स को देकर लाभ उठाते हैं।

निर्माण उद्योग में विभिन्न कार्यों के अनुसार ही शैक्षणिक योग्यता भी अलग-अलग होती है। जिससें संबंधित पढ़ाई अलग- अलग संस्थानों में की जाती है कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा हासिल करने के लिए न्यूनतम योग्यता इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर का किसी भी शाखा में ग्रेजुएट डिग्री या आर्ट्स कॉमर्स या साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होना जरूरी है। इसके अलावा कंपनी सचिव चार्टर्ड अकाउंटेंट ग्रेजुएट इंजीनियर और वास्तुकार आदि के लिए  काम करने के लिए भी निर्धारित योग्यता होनी चाहिए। कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पत्राचार माध्यम से भी

उपलब्ध है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* नेशनल इस्टीच्यूट ऑफ कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट एंड रिसर्च, मुंबई

* इंडियन स्कूल ऑफ रियल इस्टेट,पुणे

* स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली

*  स्टेट फॉर एन्वायरमेंट प्लानिंग ऑफ रियल इस्टेट मैनेजमेंट, मुंबई

* नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ रियल इस्टेट मैनेजमेंट, नई दिल्ली

कौन-कौन से स्किल्स हैं जरूरी

* जॉब को लेकर पैशन

* आर्गेनाइजेशन स्किल्स

* रियल इस्टेट सेक्टर की हर छोटी से छोटी जानकारी

*  नेगोसिएशन


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