रोहिंग्या मुसलमानों के प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका खारिज

By: Oct 4th, 2018 1:12 pm

उच्चतम न्यायालय ने असम के सिलचर में हिरासत में रखे गये सात रोहिंग्या मुसलमानों के प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका आज खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सात रोहिंग्या मुसलमानों के प्रत्यर्पण के केंद्र सरकार के फैसले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, “ये रोहिंग्या गैर-कानूनी तरीके से भारत में रह रहे थे और म्यांमार सरकार ने इन्हें अपना नागरिकमाना है। ऐसी स्थिति में उनके प्रत्यर्पण के केंद्र के फैसले में दखल देना उचित नहीं है।”इससे पहले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक हलफनामा दायर करके कहा कि म्यांमार के दूतावास ने इन लोगों को सर्टिफिकेट ऑफ आइडेंटिटी (सीओआई) देने पर सहमति जतायी है, लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने दलील दी कि ये लोग गैर-कानूनी प्रवासी नागरिक नहीं हैं। सरकार को चाहिए कि वह संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को इन लोगों से बातचीत करने दे।प्रत्यर्पित किये जाने वाले सातों रोहिंग्या मुसलमानों के नाम हैं- मोहम्मद यूनुस, मोहम्मद सबीर अहमद, मोहम्म्द जमाल, सलाम, मोहम्मद मुकनुल खान, मोहम्मद रहीमुद्दीनन एवं मोहम्मद जमाल हुसैन। इनमें से छह म्यांमार के फैदा जिले के कीटो गांव के निवासी हैं, जबकि सबीर अहमद बर्मा गांव का रहने वाला है। ये लोग 2012 से रह रहे थे और गैर-कानूनी तौर पर भारत में प्रवेश के लिए जेल भी जा चुके हैं।


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