वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2.50 रुपये की कटौती का ऐलान

By: Oct 4th, 2018 3:45 pm
वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो, PIB)
 केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती का ऐलान किया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने शेयर बाजार, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर विस्तार से बात रखी. इस कटौती में रेवेन्यू विभाग को 1.50 रुपये और OMC को एक रुपये वहन करना होगा.आपको बता दें कि पिछले काफी समय से लगातार तेल के दामों में बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण आम जनता परेशान थी. केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद आम आदमी को राहत मिलने की संभावना है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम में इस कटौती से केंद्र सरकार के खजाने पर 10 हजार 500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. 

जेटली बोले- हमने घटाया पैसा, अब राज्य भी घटाये

केन्द्र सरकार ने अंतरमंत्रालयी पहल करते हुए रेवेन्यू और पेट्रोलियम मंत्रालय से बातचीत हुई है. पिछले साल केन्द्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये की कटौती की थी. हम तभी कोई छूट दे सकते हैं जब हमारी राजस्व की क्षमता बढ़ती है. रेवेन्यू विभाग कंज्यूमर को रिलीफ देने के लिए तीन हिस्सों में बांटकर दिया जाएगा.

लिहाजा, राज्यों से कहा जा रहा है कि केन्द्र की 2.50 रुपये की कटौती की तर्ज पर सभी राज्य भी 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती को प्रभावी करें. यह काम राज्यों के लिए आसान है.

जेटली ने कहा कि हमने तेल कंपनियों को 10 बिलियन डॉलर विदेशी ऑयल बॉन्ड के जरिए उठाने की अनुमति दी है. सरकार ने आईएसएंडएफएस में निर्णायक फैसला लिया है. सरकार ने इंपोर्ट पर लगाम लगाने की कवायद की है. भारतीयों को मसाला बॉन्ड पर टैक्स चोरी रोकने के लिए कदम उठाए हैं.

 वित्त मंत्री ने कहा कि पहली तिमाही नतीजों ने 8.5 फीसदी ग्रोथ दिखी है. रेवेन्यू के जो आंकड़े मिल रहे हैं. डायरेक्ट टैक्स से सरकार को उम्मीद से अच्छा मिल रहा है. इससे फिलकल डेफिसिट कम करने में फायदा होगा. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर अमेरिका में घरेलू बाजार में हो रहे बदलाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. लेकिन घरेलू संकेच अच्छे हैं. हालांकि कच्चे तेल के चलते करेंट अकाउंट डेफिसिट पर चुनौती है लेकिन अन्य आंकड़े पक्ष में हैं.

वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि राज्य सरकारों का एडवैलोरम टैक्स है. राज्यों का औसत 29 फीसदी है. इसलिए कच्चा तेल का दाम बढ़ने पर राज्यों को अधिक इजाफा होता है. वहीं केन्द्र की कमाई स्थिर रहती है.


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