सड़क किनारे सड़ रहीं निगम की 241 बसें

By: Oct 10th, 2018 12:20 am

एक साल से नहीं हो रहा लो फ्लोर गाडि़यों का संचालन, अब तक 90 करोड़ का नुकसान

शिमला —हिमाचल पथ परिवहन निगम की 241 लो फ्लोर बसों का संचालन क्लस्टर के फेर में फंस कर रह गया है। क्लस्टर के तहत रूट परमिट न मिलने के चलते एचआरटीसी की ये बसें करीब एक वर्ष से सड़क  किनारे धूल फांक रही हैं। इससे हर महीने पथ परिवहन निगम को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है।   बताते चलें कि लो फ्लोर बसें के क्लस्टर से बाहर चलने का विवाद पिछले साल शुरू हुआ था। विवाद के चलते उस दौरान एचआरटीसी की 325 लो फ्लोर बसें खड़ी हो गई थीं, लेकिन इनमें से 81 बसों के रूट परमिट निर्धारित होने के बाद ये बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं, मगर अभी भी एचआरटीसी की 241 बसें ऐसी हैं, जो सड़कों के किनारे ही खड़ी है। हालांकि निगम प्रबंधन द्वारा इनके संचालन के लिए पूरा प्रारूप तैयार कर लिया गया है, मगर परिवहन विभाग से रूट परमिट न मिलने के चलते इन बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। अभी भी आशंका जताई जा रही है कि इनके संचालन में और समय लग सकता है। उल्लेखनीय है कि एचआरटीसी बसों के खड़े होने से एचआरटीसी को हर महीने दस करोड़ का नुकसान हो रहा है। ऐसे में अगर एक साल का आकलन किया जाए तो एचआरटीसी को अभी तक करीब 90 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ चुका है। हालांकि इन बसों के संचालन के लिए पथ परिवहन निगम द्वारा पिछले काफी समय प्रयास किए जा रहे हैं, मगर अभी तक इन बसों का संचालन क्लस्टर के फेर में ही फंसा हुआ है। निगम प्रबंधन ने वर्ष 2015 में केंद्र के सहयोग से जेएनएनयूआरएम की बसें खरीदी थीं। इसके बाद इनका प्रदेश भर में संचालन हो रहा है, जिन रूटों पर बसें उपलब्ध नहीं थी, वहां भी जेएनएनयूआरएम की बसें चलाई जा रही थीं, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी 241 बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है।

निजी बस आपरेटरों ने जताई थी आपत्ति

केंद्र सरकार से मिली लो फ्लोर बसों का संचालन क्लस्टर के तहत होना था, मगर निगम प्रबंधन द्वारा इन बसों को क्लस्टर के बाहर चलाया गया। ऐसे में निजी आपरेटरों ने इसके खिलाफ कोर्ट की शरण ली थी, जिसके बाद से ही  ये बसें खड़ी है। अभी तक यह मसला सुलझ नहीं पाया है।


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