साइबर थाना में पेंडिंग पड़े केस

By: Oct 1st, 2018 12:03 am

आठ कर्मियों के सहारे चल रहा काम, इस साल ही 600 से ज्यादा शिकायतें

 शिमला —शिमला में खोला गया प्रदेश का एकमात्र साइबर थाना मात्र दस कर्मचारियों के सहारे ही चल रहा है। साइबर थाना खोले हुए करीब दो साल होने को हैं, लेकिन अभी तक इसके लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं दिया गया है। कर्मचारियों की भारी कमी से साइबर थाने में कई बड़े केस पेंडिंग पड़े हुए हैं। शिमला में साइबर थाना दिसंबर, 2016 में पुलिस मुख्यालय में स्थापित किया गया था, लेकिन दो साल बाद भी थाने के लिए स्टाफ नहीं दिया गया है। साइबर थाना मात्र दस कर्मचारियों से चलाया जा रहा है। इनमें एक डीएसपी, दो इंस्पेक्टर, दो हैडकांस्टेबल के अलावा पांच कांस्टेबल शामिल हैं। वहीं, साइबर थाने में तैनात पांच कांस्टेबलों में एक चालक, दो मुंशी का काम कर रहे हैं। साइबर थाने में तैनात एक इंस्पेक्टर और एक हैडकांस्टेबल भी अंडर ट्रांसफर है। इस तरह इस थाने में अब मात्र आठ कर्मचारी ही रह गए हैं। हालांकि पुलिस विभाग की ओर से इसके लिए स्टाफ से संबंधित एक प्रस्ताव सरकार को दिया गया था, इनमें पांच इंस्पेक्टर, पांच हैडकांस्टेबल और 15 कांस्टेबलों के पद शामिल थे। इनमें से दस पद मंजूर कर इन पर कर्मचारियों की तैनाती भी कर दी गई, लेकिन बाकी पद मंजूर नहीं किए गए। वित्त विभाग की ओर से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इसके आगे यह मामला आगे नहीं बढ़ा। वहीं हालात ये हैं कि साइबर थानों में साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों की भरमार है। हर रोज कई शिकायतें थाने में पहुंच रही हैं और इस साल ही अब तक थाने में करीब 600 शिकायतें आ चुकी हैं।

वक्त पर हुई कार्रवाई से मिल गए थे आठ लाख रुपए

ऐसा नहीं कि साइबर थाना कोई काम नहीं कर रहा। साइबर थाने की समय पर की गई कार्रवाई से साइबर अपराधियों द्वारा विभिन्न लोगों से एंठे गए करीब साढ़े आठ लाख रुपए भी वापस मिल पाए हैं, लेकिन स्टाफ की कमी से साइबर थाना उस गति से काम नहीं कर पा रहा, जितनी इससे उम्मीद थी। साइबर केस सुलझाने के साथ-साथ साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाने के काम की बड़ी जिम्मेदारी भी इसी थाने पर है, लेकिन स्टाफ न होने से काम प्रभावित हो रहा है।


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