सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता जरूरी

By: Oct 29th, 2018 12:08 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

आज इन योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकतर अशिक्षित लोगों को कई योजनाओं की जानकारी ही नहीं होती है और उनको पहुंचने वाले फायदों को चोर बाजारी करने वाले लोग लूट ले जाते हैं…

भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का मूल उद्देश्य उपभोक्ताओं को सस्ती और रियायती कीमतों पर आवश्यक उपभोग की खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना रहा है। इसके तहत खाद्यान्नों के अलावा खाद्य तेल, चीनी, दालें, मिट्टी का तेल और कपड़े का वितरण भी किया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर पीडीएस का सालाना खर्चा लगभग 30 हजार करोड़ रुपए है और इसके अंतर्गत 160 लाख परिवारों को सस्ते राशन की सुविधाएं प्रदान करने वाला यह विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क भी है।  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को हिमाचल प्रदेश में भी लागू किया गया है, ताकि जन आपूर्ति प्रणाली के अंतर्गत आने वाले नागरिकों को फायदा पहुंचाया जा सके। हिमाचल प्रदेश का खाद्य, नागरिक आपूर्ति उपभोक्ता मामले विभाग 1966 से कार्यरत है, जो कि मुख्यतः बाजार मूल्य पर नजर रखने, खाद्य सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने, राशन कार्ड बनाने, उचित मूल्य की दुकानें खोलने, निरीक्षण, छापेमारी करने और लाइसेंस इत्यादि जारी करने जैसे कार्यों की देखरेख करता है। इसके अलावा विभाग द्वारा एक टोल फ्री नंबर 1967 जारी किया गया है, जहां किसी भी कार्य दिवस पर फोन करके आवश्यक जानकारी ली जा सकती है अथवा अपनी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।

इस समय हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 4937 दुकानों के माध्यम से 18.37 लाख राशन कार्ड धारकों को सस्ता राशन प्रदान किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 220 करोड़ रुपयों की सबसिडी से सस्ती दालें, खाद्य तेल इत्यादि उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया के 17 गोदाम हैं, जिनके द्वारा हिमाचल प्रदेश आपूर्ति निगम के पूरे प्रदेश में फैले 117 थोक गोदामों से अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। हिमाचल प्रदेश में इस समय राजीव गांधी अन्न योजना, उज्ज्वला योजना और अंत्योदय जैसी गरीबों के लिए अन्य योजनाएं भी चल रही हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में अभी भी कुल आबादी के 5 फीसदी लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है। अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत देश के लगभग 1 करोड़ बीपीएल परिवारों को दो रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल अधिकतम 35 किलोग्राम अनाज उपलब्ध करवाया जाता है। अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत 65 साल से ऊपर अशक्त बुजुर्गों को 10 किलोग्राम अनाज मुफ्त मुहैया करवाने की व्यवस्था की गई है। आज इन योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकतर अशिक्षित लोगों को कई योजनाओं की जानकारी ही नहीं होती है और उनको पहुंचने वाले फायदों को चोर बाजारी करने वाले लोग लूट ले जाते हैं। हिमाचल प्रदेश खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान करने के लिए ईपीडीएस एप्प लांच किया है और यह एप्प गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क उपलब्ध है। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि प्रायःडिपुओं में मिलने वाला सस्ता राशन उपभोक्ताओं को एक खेप में नहीं मिलता है।

खाद्य सामग्री की रसीद न देना, स्वयं सामान न देना, दाम लेकर नखरे दिखाना, दुकान बंद रखना और उपभोक्ताओं को चक्कर लगवाना इनकी फितरत में शामिल होता है। कुछ संचालक इसका अपवाद भी हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा शिकायतों के निवारण की व्यवस्था है। कई उपभोक्ताओं का यह भी मानना है कि सरकार सबसिडी पर मिलने वाले राशन को न लेने वाले लोगों के खाते में अनुदान राशि को गैस सबसिडी की तरह जमा करवा दे। इसके अलावा कई उपभोक्ताओं का मानना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार को दिल्ली सरकार की तर्ज पर कार्डधारक को किसी भी डीपू से राशन लेने की सुविधा देने पर विचार करना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में 31 मार्च 2017 की स्थिति के अनुसार विभाग में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 386 थी, जिसमें से 112 पद रिक्त चल रहे हैं।

इनमें से सीनियर असिस्टेंट के 38 और इंस्पेक्टर ग्रेड वन के 11 रिक्त पद कहीं न कहीं विभागीय कामकाज की गति को जरूर प्रभावित करते होंगे। विभाग का दायित्व जन वितरण प्रणाली को मजबूत बनाकर उचित दामों पर जरूरी खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता को सुनिश्चित बनाना है और उपभोक्ताओं में उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाना है। यद्यपि विभाग द्वारा प्रदेश के जिला, राज्य एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेलों में विभागीय स्टाल लगाकर जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है, लेकिन आवश्यकता है कि विभाग प्रदेश के सभी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों और महाविद्यालयों में जागो ग्राहक जागो और उपभोक्ता जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन करे। इस प्रकार के सेमिनार और कार्यशालाओं के आयोजन में प्रदेश के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, प्राध्यापकों और लेखकों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।


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